पेइंग गेस्ट (पीजी) हो या गल्र्स हॉस्टल हर जगह सिक्योरिटी की कमी के चलते गल्र्स में हर वक्त सुरक्षा की कमी महसूस होती है। सिटी की ज्यादातर गल्र्स और वीमेंस का कहना है गवर्नमेंट गल्र्स हॉस्टल नहीं होने की वजह से मजबूरन उन्हें पीजी में रहता पड़ता है। हालांकि, पीजी में तो गेट पर सिक्योरिटी के अच्छे इंतजामात रहते हैं, लेकिन कनविवियल एटमॉस्फियर नहीं मिल पाता। साकची में रहने वाली यामिनी ने बताया कि वो जिस अपार्टमेंट में रहती हैं वहीं उनके नीचे वाले फ्लैट में कुछ लडक़े रहते है जो डेली रात को शराब पीकर आते हैं और हल्ला करते हैं। अगर कोई ऑब्जेक्शन करे तो उससे काफी बद्तमीजी बदतमीजी से बात करते हैं। बिष्टूपुर में रहने वाली गार्गी शुक्ला ने बताया कि इससे पहले वह दिल्ली में एक गर्वमेंट वर्किंग वूमेंस हॉस्टल में करती थी। वहां उन्हें किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं थी। लेकिन यहां पीजी में रहने में उन्हें सिक्योरिटी की कमी महसूस होती है। गल्र्स का कहना है कि पीजी में और भी कई तरह की प्रॉब्लम्स है। पीजी में रहने के साथ-साथ खाना भी वहीं खाने की मजबूरी रहती है, चाहे उसकी क्वालिटी कितनी भी खराब क्यों न हो।

मैं कॉल सेंटर में काम करती हूं। इसके चलते कभी-कभी देर से भी आना होता है। ऐसे में पीजी ओनर काफी प्रॉब्लम क्रिएट करता है। वर्किंग वूमेंस के लिए गर्वमेंट हॉस्टल होना चाहिए।
अमृता, बिष्टूपुर

में अपार्टमेंट में रहती हूं। कई लडक़े भी उसी अपार्टमेंट में रहते हैं जो रोज कोई ना कोई बवाल करते रहते हैं। ऐसे में बहुत प्रॉब्लम होती है। सिटी में हमारे लिए हॉस्टल की फैसिलिटी होनी चाहिए।
श्वेता, साकची