- क्रिकेटर को लोकसभा का टिकट देकर कांग्रेस ने खेला बड़ा दांव

- सपा को हो सकता है नुकसान, अब गेंद भाजपा के पाले में

ALLAHABAD: लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे परवान चढ़ रहा है, रोजाना नए-नए सरप्राइज सामने आ रहे हैं। फूलपुर संसदीय सीट से कांग्रेस द्वारा क्रिकेटर मो। कैफ को उम्मीदवार बनाया जाना इसी का एक हिस्सा है। जो लोग इस सीट पर अभी तक अपनी जीत तय मान रहे थे, उनको दोबारा सोचने पर मजबूर होना पड़ा है। जहां समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को अब क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी, वहीं चुनावी विश्लेषकों की मानें तो गेंद अब भाजपा के सियासी पाले में है।

किसी को नहीं थी उम्मीद

फूलपुर संसदीय सीट का अब तक इतिहास बिल्कुल साफ रहा है। यहां मुस्लिम वोट हमेशा से प्रत्याशी की जीत में अहम भूमिका निभाता आया है। 1952 से लेकर अब तक हुए कुल 15 चुनावों में छह बार कांग्रेस, चार बार सपा और जनता पार्टी व जनता दल को दो-दो बार और बसपा को एक बार जीत मिली है। भाजपा के खाते में एक भी जीत यहां दर्ज नहीं है। सपा ने जहां मुस्लिम और पटेल वोट के मद्देनजर धर्मराज पटेल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है वहीं कांग्रेस ने सभी कयासों को झुठलाते हुए क्रिकेटर मो। कैफ को अपना प्रत्याशी घोषित कर सभी को सरप्राइज कर दिया। राजनीतिक विरासत हासिल नहीं होने की वजह से कैफ को जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है।

फूलपुर में ये विधान सभाएं हैं शामिल

-फूलपुर

-फाफामऊ

-सोरांव

-सिटी वेस्ट

-सिटी नार्थ

दो लाख से अधिक हैं मुस्लिम वोटर

सपा से 1999 लोकसभा चुनाव में फूलपुर से जीत दर्ज करने वाले धर्मराज पटेल को मुस्लिम, यादव और पटेल वोट का साथ मिला था। इस बार भी इसी गणित पर सपा अमल कर रही थी। मो। कैफ के मैदान में उतर जाने से यह समीकरण गड़बड़ा सकता है। बता दें कि इस लोकसभा सीट में दो लाख से अधिक मुस्लिम वोट मौजूद हैं। जिनमें अकेले फूलपुर और फाफामऊ ये संख्या सवा लाख से अधिक हैं। सिटी वेस्ट विधानसभा में भी 50 हजार के आसपास मुस्लिम वोट मौजूद हैं। इसके अलावा मौर्य भी इस सीट में खासी दखल रखते हैं। उधर बसपा अपने कैडर और ब्राह्माण वोट के दम पर एक बार फिर चुनावी मैदान में उतर सकती है।

भाजपा पर टिकी हैं सबकी निगाहें

फूलपुर का सियासी गणित गड़बड़ाने की नौबत आ जाने से अब सभी की निगाहें भाजपा पर टिक गई हैं। हालांकि पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। चुनावी विश्लेषक कहते हैं कि इस सीट पर अपना पुराना इतिहास बदलने का एक मौका भाजपा को मिल सकता है, बशर्ते पार्टी सोच-समझकर अपना उम्मीद्वार घोषित करे। उधर उम्मीदवारों का सबसे बड़ा सिरदर्द पूर्व के चुनावों में सिटी वेस्ट और सिटी नार्थ का पोलिंग परसेंटेज कम होना भी है। मतदाताओं को जगाने के लिए भी पार्टियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

Expert views

मो। कैफ को कांग्रेस से टिकट मिलने से फूलपुर से सपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। धर्मराज पटेल को म्0 फीसदी मुस्लिम वोट मिल सकते थे लेकिन इनमें कांग्रेस ने सेंध लगाने का काम किया है। हालांकि कैफ के पास कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि मौजूद ना होना उनके लिए माइनस प्वाइंट है। फिर भी अब लोगों की निगाहें भाजपा के उम्मीदवार पर टिकी हैं। परिणाम कुछ भी हो लेकिन फूलपुर का लोकसभा चुनाव अब काफी इंट्रेस्टिंग मोड़ पर आ चुका है।

नरेंद्र देव पांडेय, चुनावी विश्लेषक, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष व पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष

- कांग्रेस आलाकमान ने मो। कैफ को टिकट देकर अच्छा डिसीजन लिया है। हो सकता है कुछ कार्यकर्ताओं को इससे असंतोष हो लेकिन जनता का प्रतिनिधित्व करने का मौका सभी को मिलना चाहिए। केवल खादीधारी ही चुनाव लड़ने के हकदार नहीं हैं, कलाकार, खिलाड़ी, व्यापारी को भी पार्टियों को टिकट देना चाहिए। कैफ चुनाव हारें या जीतें लेकिन हमें उम्मीद है वह एक अच्छे प्रत्याशी साबित होंगे और जनता के बीच जाकर उनके दुख दर्द को जानेंगे।

श्याम कृष्ण पांडेय, कांग्रेस जिलाध्यक्ष