लोकसभा चुनाव के खत्म होने के साथ ही खाली हो गये राजनैतिक पार्टियों का प्रचार कर रहे लोग

होटल और ट्रैवल वालों का धंधा भी हुआ मंदा, पैमफ्लेट बांटने से लेकर हाईटेक तरीकों से प्रचार में लगे लोग हुए खाली

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: लोकसभा चुनावों के दौरान दो महीने तक अपना शहर गुलजार था। हर ओर शोर शराबे के बीच कई खाली पड़े लोगों को भी रोजगार मिल गया था। कोई नेताओं के पोस्टर बैनर लगाने में जुटा था तो कोई पैमफ्लेट बांटकर पर डे अच्छी खासी कमाई कर रहा था। मंदे पड़े धंधे पर भी चुनावी कृपा ऐसी बरसी कि होटल से लेकर ट्रैवल एजेंसीज वाले कमाकर लाल हो गए लेकिन एक बार फिर सब कुछ अपने पुराने ढर्रे पर आ गया है। चुनाव क्या खत्म हुए रोजी कमाने में जुटे लोग अब फिर से खाली हो गए हैं।

छा गया है सन्नाटा

लोकसभा चुनावों के दौरान सबसे ज्यादा फायदे में थे वो लोग जो डेली वेजेज पर कमाते खाते थे। दिनभर खटने के बाद मिलने वाले रुपये जब कम लगन लगे तो अपने शहर के हजारों लेबर्स, बैंड पार्टी वाले और रिक्शा चलाने वाले जुट गए थे नेता जी का प्रचार प्रसार करने में। कोई नेता जी के पोस्टर दीवारों पर चिपकाने में जुटा था तो कोई पर हजार पैमफ्लेट के 100 रुपये पर डे लेकर मजे ले रहा था। सबसे ज्यादा डिमांड तो हाईटेक युवाओं की थी। पांच सौ रुपए से एक हजार रुपए परडे पर कम्प्यूटर फ्रेंडली लोगों को सभी दलों ने हायर किया था। ये सभी लोग सिर्फ दिनभर की अपडेट सोशल मीडिया पर देते थे। इसके अलावा इलेक्शन के दौरान सिटी के छोटे बड़े होटल्स से लेकर लॉजेज और गेस्ट हाउसेस वालों ने भी खूब कमाया। इसके अलावा मोटर बोट, नाव ठेले खोमचे वालों की भी चांदी रही लेकिन अब जब चुनाव खत्म हो गए तो ये सब खाली हैं और यही सोच रहे हैं काश हर रोज होता चुनाव।

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जब तक चुनाव था तब तक बहुत अच्छा बाजार था। डेली कोई चैनल वाले या कोई नेता जी बजड़ा बुक कराते थे लेकिन चुनाव खत्म होते ही सब बेकार हो गया।

प्रभु सहानी, नाविक

चुनाव के दौरान होटल कारोबार बहुत अच्छा था। डेली लोगों की भीड़ रहती थी लेकिन चुनाव खत्म होते ही सब अपने अपने शहर लौट गए हैं और व्यापार पर असर पड़ा है।

विकास शर्मा, होटल कारोबारी