- चुनाव में फैल रही अफवाहों से निर्वाचन आयोग भी हैरान

- प्रत्याशियों के ऐलान की फेक न्यूज कर रही पार्टियों को परेशान

- चुनाव आयोग के साथ यूपी पुलिस भी उठा रही सख्त कदम

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LUCKNOW: चुनाव आयोग भले की शांतिपूर्वक तरीके से मतदान कराने की कोशिशों में जुटा हो पर सूबे के उपद्रवी तत्व और अफवाहबाज हरकतों से बाज नहीं आ रहे। कुछ ऐसा ही हाल बीते दिनों देखने को मिला जब आयोग को चुनाव को लेकर फैली अफवाहों पर स्पष्टीकरण देकर लोगों के मन में इसे लेकर उठ रहे कौतूहल को समाप्त करना पड़ गया। इन अफवाहों और फेक न्यूज से केवल आयोग ही नहीं, राजनैतिक दल भी परेशान हैं। सूबे में सभी प्रमुख दलों को भी इससे दो-चार होना पड़ा जब उनके प्रत्याशियों की फेक लिस्ट जारी कर दी गयी। कई बार ऐसे मामलों में पुलिस को भी दखल देना पड़ता है पर इनका स्रोत पता लगा पाना आसान नहीं होता।

नहीं दिया वोट तो कटेंगे पैसे

हाल ही में चुनाव आयोग को सोशल मीडिया पर वायरल और एक अखबार में छपी एक खबर के बारे में स्पष्ट करना पड़ा जिसमें वोट न देने पर बैंक खाते से 350 रुपये कटने की बात की गयी थी। आयोग ने लोगों को बताया कि इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इसके कुछ दिन बाद सोशल मीडिया पर एक और संदेश वायरल हुआ जिसमें कहा गया कि चुनाव के दौरान मस्जिदों में होने वाली तकरीर को रिकार्ड किया जाएगा। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इसे भी भ्रामक और निराधार बताया। उन्होंने लोगों से ऐसी भ्रामक खबरों से सावधान रहने और अधिकारियों के संज्ञान में लाने की अपील भी की। साथ ही मीडिया से भी अपील की कि वे इस तरह की खबरों की पुष्टि निर्वाचन आयोग या निर्वाचन अधिकारी से कराने के बाद ही प्रसारित करें।

प्रत्याशियों की फर्जी लिस्ट

इसी तरह चुनाव में अलग-अलग दलों के प्रत्याशियों के ऐलान की फर्जी लिस्ट भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इसकी शुरुआत बसपा के प्रत्याशियों की एक फर्जी लिस्ट जारी होने से हुई थी जिसमें तमाम बाहुबली नेताओं को टिकट देने का जिक्र था। इसे लेकर बसपा की ओर से राजधानी के गौतमपल्ली थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। कुछ ऐसा ही हाल सपा और भाजपा के साथ भी हुआ और उनके प्रत्याशियों की फर्जी लिस्ट भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। दोनों दलों ने न केवल इसे खारिज किया बल्कि अधिकृत ई-मेल के जरिए मिलने वाली लिस्ट को ही सही मानने की अपील की।

कैसे रहें सावधान

सोशल मीडिया आदि पर इस तरह की अफवाहों और फेक न्यूज से सावधान रहने के लिए जनता को विश्वनीय अकाउंट और हैंडिल पर ही भरोसा करना चाहिए। साथ ही इस बाबत जिला निर्वाचन अधिकारी अथवा चुनाव आयोग के हेल्पलाइन नंबरों पर इसकी सच्चाई का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए आयोग के टोल फ्री नंबर 18001801950 पर भी संपर्क किया जा सकता है। साथ ही आयोग के सी-विजिल मोबाइल एप पर भी इसकी सूचना दी जा सकती है। मामला संवेदनशील होने पर इसकी सूचना तत्काल पुलिस अधिकारियों को देनी चाहिए।

मतदान के दिन खास सतर्कता

चुनाव के दौरान मतदान के दिन अफवाहों को लेकर खास सतर्कता बरतनी पड़ती है। कई बार शरारती तत्व मतदान को प्रभावित करने के लिए अफवाहों का सहारा लेते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी मतदान के दौरान ऐसी अफवाहों ने पुलिस को खासा परेशान किया था। कहीं बूथ लूटने तो कहीं हंगामे की गलत सूचना की अफवाहों की रोकथाम को पुलिस ने बाकायदा कम्युनिकेशन प्लान तैयार किया था। इसके तहत हर गांव से प्रधान के अलावा कम से तीन विश्वस्त ग्रामीणों के मोबाइल नंबर चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों को अपने पास रखने को कहा गया जिससे तमाम अफवाहों की सच्चाई का तत्काल पता लगा उन्हें फैलने से रोका जा सका।

ईवीएम सर्वाधिक शिकार

चुनाव के दौरान यदि कोई अफवाहों का सर्वाधिक शिकार ईवीएम होती हैं। कई बार प्रत्याशी या उनके समर्थक ईवीएम खराब होने या वोट किसी दूसरे दल के खाते में जाने की शिकायतें करते हैं जिससे चुनाव आयोग की मुश्किलें बढ़ जाती है। बीते कई चुनावों से कई विपक्षी दल लगातार ईवीएम को संदेह की नजर से देखते रहे हैं जिसकी वजह से चुनाव आयोग को भी बार-बार ईवीएम की शुचिता पर सफाई देनी पड़ी है।

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