ऐसे वसूल लाएंगे टैक्स:

सेंट्रल जीएसटी केंद्र सरकार वसूलेगी।  स्टेट जीएसटी राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी। दो राज्यों के बीच अगर कोई कारोबार अगर होगा तो उस पर इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में बराबर बांट देगी।

ये सारे टैक्स खत्म होंगे:

इस जीएसटी बिल से लोगों को काफी राहत मिलेगी। एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम, वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, लग्जरी टैक्स खत्म हो जाएंगे।

चार तरह के टैक्स:

जीएसटी की चार दरें 5%, 12%, 18% और 28%  तय हुई हैं। हालांकि अभी तो यह टैक्स इतने ही रहेंगे, लेकिन जरूरत पर बढ़ाए इन्हें 40% तक बढाया भी जा सकता है। इस बात का जिक्र जीएसटी बिल में पहले ही कर दिया गया है।  

किस पर कितना टैक्स:

* जीएसटी बिल में साफ है कि चावल और गेहूं जैसी आवश्यक वस्तुओं पर कोई कर नहीं लागू होगा।

* वहीं मसालों, चाय और खाद्य तेल जैसे बड़े पैमाने पर खपत के सामान के लिए पर 5% की सबसे कम कर दर प्रस्तावित है।

* सबसे अधिक विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं को कवर करने में 12% और 18% की दो "मानक" में कर लागू होंगे।

* वहीं 28% का उच्चतम कर, लक्जरी कारों, पान मसाला, तम्बाकू और मंहगे पेय पदार्थों आदि पर लगाया जाएगा।

राज्यों को मुआवजा:

वहीं केंद्र सरकार 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) कुछ वस्तुओं पर चार्ज करेगी। इसे मुआवजा कोष में जमा किया जाएगा। इस राशि को जिन राज्यों को जीएसटी रोलआउट के बाद राजस्व की हानि होगी। पहले पांच साल में उन्हें दिया जाएगा।

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करदाताओं पर नियंत्रण:

वहीं करदाताओं पर दोहरा नियंत्रण रहेगा। केंद्र और राज्य दोनों 1.5  करोड़ से ऊपर के वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं का आकलन करेंगे। वहीं राज्य सरकार राज्य 1.5 लाख रुपये से कम कारोबार वाले करदाताओं का आकलन भी कर सकेंगे।

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जीएसटी में इतनी छूट:

वहीं सिर्फ पूर्वोत्तर राज्यों में, 10 लाख रुपये या उससे नीचे के वार्षिक कारोबार को जीएसटी से छूट दी जाएगी। जबकि वहीं पूरे देश में इसकी सीमा 20 लाख रुपये रखी गई है।

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