अन्ना ने तंज कसते हुए कहा है कि उन्हें आंदोलन चलाने के लिए विदेश से चंदा नहीं मिल रहा है और उनका आंदोलन गांव के लोगों से मिलने वाले पांच या दस रुपए के योगदान पर आधारित है.

अरविंद केजरीवाल को पहले आंदोलन और फिर राजनीतिक दल चलाने के लिए विदेश से बड़ी धनराशि दान में मिलती रही है.

लोकसभा में  लोकपाल विधेयक पर मुहर लगने के बाद अन्ना हज़ारे ने कहा, "हमें विदेश से पैसा नहीं मिल रहा है. इस आंदोलन में हमें कोई बड़ा दान नहीं मिला है. ये रालेगण सिद्धि के परिवार के लोगों की हिम्मत है कि आने वाले लोगों को भोजन दिया जा रहा है."

उन्होंने कहा, "यहां आने वाले कई लोगों ने छोटी रकम दी है. कल दोपहर तक ढेड़ लाख रुपए दिए गए थे. उसका भी हम हिसाब बना रहे हैं."

शेर-चूहे की लड़ाई

"हमें विदेश से पैसा नहीं मिल रहा है. इस आंदोलन में हमें कोई बड़ा दान नहीं मिला है. ये रालेगण सिद्धि के परिवार के लोगों की हिम्मत है कि आने वाले लोगों को भोजन दिया जा रहा है."

-अन्ना हज़ारे, समाजसेवी

इससे पहले लोकपाल विधेयक पर अरविंद केजरीवाल के बयान के बारे में अन्ना ने कहा था, "आप चूहे की बात कर रहे हैं. मुझे लगता है कि इस विधेयक में शेर को भी फंसाने का प्रावधान है."

 अरविंद केजरीवाल ने लोकपाल विधेयक की आलोचना करते हुए कहा था कि इससे एक चूहे को भी नहीं पकड़ा जा सकता है.

अन्ना हज़ारे इस विधेयक को पारित कराने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे और बुधवार को लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया.

अन्ना हज़ारे और अरविंद केजरीवाल ने एक साथ लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन शुरू किया था, लेकिन राजनीति में प्रवेश के मसले पर दोनों के बीच मतभेद पहली बार खुलकर सामने आए. इसके बाद दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए.

बढ़ती गई दूरियां

आंदोलन में सहयोगी रही किरण बेदी ने राजनीतिक पार्टी से दूर रहने का फैसला किया और वो अन्ना के साथ बनी रहीं.

अन्ना ने चलाए केजरीवाल पर 'व्यंग्य बाण'

दिल्ली विधानसभा के दौरान उस समय अन्ना हज़ारे और अरविंद केजरीवाल के बीच तल्ख़ी बढ़ती हुई दिखाई दी जब अन्ना ने पत्र लिख कर कहा कि आम आदमी पार्टी उनके नाम का गलत ढंग से इस्तेमाल कर रही है.

अन्ना ने ये भी कहा कि लोकपाल आंदोलन के दौरान मिले चंदे का इस्तेमाल भी राजनीतिक मक़सद के लिए किया जा रहा है.

बीते दिनों जब अन्ना ने  आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय को अपने गांव से बाहर जाने के लिए कह दिया, तो इसे भी दोनों के बीच खराब होते रिश्तों का सबूत माना गया.

अन्ना सरकार के लोकपाल विधेयक से पूरी तरह सहमत हैं जबकि अरविंद केजरीवाल और उनके साथी यह मानते हैं कि जन लोकपाल विधेयक ही पारित होना चाहिए, और कोई बिल उन्हें मंजूर नहीं.

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