जानी मानी अदाकारा मेनेगाकी ने पुरोहित की भूमिका निभाते हुए सूरज की किरणों और दर्पण की मदद से इस मशाल को रोशन किया। इससे पहले मेनेगाकी और उनके साथ सजे-धजे पुरुष नर्तकों ने ओलंपिक खेलों की क्षमता का प्रतीकात्मक तरीके से प्रदर्शन किया।

ये सारा आयोजन ग्रीस के प्राचीन ओलंपिक गेम्स स्टेडियम में हुआ। ओलंपिक खेलों की इस मशाल को ब्रिटेन ले जाया जाएगा। ये मशाल 70 दिनों में ब्रिटेन के अलग-अलग हिस्सों में जाएगी।

शुद्धता का प्रतीक

ओलंपिक खेलों के प्रतीक के तौर पर जिस मशाल को रोशन किया जाता है, उसे शुद्धता का पर्याय माना जाता है। इसकी वजह ये है कि इस मशाल को सीधे सूर्य से आ रहीं किरणों की मदद से जलाया जाता है।

दस किलोमीटर की तैराकी में विश्व चैम्पियन सिप्रोस गियानिटिस इस मशाल को धामने वाले पहले खिलाड़ी बने। उन्होंने ओलंपिक मशाल को चूमकर ग्रीस में इसके एक हफ्ते के सफर की शुरुआत की।

शांति का प्रतीक

इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष ज़्याक रॉग भी ओलंपिया में मौजूद थे। ज़्याक रॉग ने कहा, ''इस मशाल को थामकर जो व्यक्ति लंदन पहुंचेगा, वो शांति को बढ़ावा देने और इस दुनिया को बेहतर जगह बनाने में खेलों की क्षमता के संदेश का प्रसार करेगा.''

उन्होंने कहा, ''हम इस मशाल को रोशन करने के लिए ओलंपिक आंदोलन के पैतृक घर आए हैं जो अपने रोशनी से पूरी दुनिया को जल्द ही रोशन करेगी.'' उन्होंने कहा, ''जिस मशाल को हमने यहां रोशन किया है, उसे सूर्य की किरणों से रोशन किया गया है, जो परम्परा और मूल्यों का एक सशक्त प्रतीक है, जो हमारे आंदोलन को निरूपित करता है.''

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