Feeling of loneliness need not, necessarily, stem from being alone or having nobody with us...it’s caused by dissatisfaction with the people in your life. And it includes dissatisfaction with you.

 

हर किसी को कभी न कभी अकेलेपन का अहसास होता है. कभी-कभी कुछ ऐसे सिचुएशंस सामने आ जाते हैं जब लगता है कि कहीं कोई साथ देने वाला नहीं.

अकेलेपन का मतलब यह नहीं होता कि आप बिल्कुल अकेले हैं और आसपास कोई नहीं है. इसका अहसास आपको भीड़ में और अपनों के बीच भी हो सकता है. यहां लोनलीनेस और अलोननेस में फर्क समझना जरूरी है. लोनलीनेस जहां निगेटिव होता है वहीं अलोननेस पॉजिटिव होता है.

अलोननेस खुद की च्वॉइस है. इसमें आप अकेले होकर भी लोगों से जुड़ा महसूस करते हैं. अलोननेस का यूज राइटर्स, ऑर्टिस्ट्स और दूसरे क्रिएटिव लोग खुद को अपग्रेड करने में करते हैं.

Loneliness leads you to frustration

आप चाहते हैं कि लोग आपको पसंद करें लेकिन जब ऐसा नहीं होता है तो खुद को अकेला फील करते हैं. धीरे-धीरे आपका एटीट्यूड निगेटिव होने लगता है. अब आप एक ऐसी सिचुएशन में होते हैं जहां निगेटिव फीलिंग्स और फ्रस्टेशन के अलावा कुछ भी नहीं होता है. आप खुद को भी नापसंद करने लगते हैं. दुनिया को देखने का नजरिया इतना बदल जाता है कि हर खूबसूरत चीज बदसूरत दिखने लगती है. इधर दुनिया वैसी ही है जैसी थी, ये सारे बदलाव सिर्फ आपके अंदर हुए हैं. अब सवाल उठता है कि दुनिया आपको खूबसूरत कैसे दिखे?

ओशो के शब्दों में, ‘अंधेरे कमरे से अंधकार को बाहर निकालकर रोशनी नहीं फैलाई जा सकती क्योंकि अंधकार का कोई एग्जिस्टेंस ही नहीं होता है. यह तो बस रोशनी की कमी की वजह से है. रोशनी चाहिए तो लाइट ऑन कीजिए, अंधेरा अपने आप गायब हो जाएगा.’

ठीक अंधेरे की तरह अकेलेपन का भी कोई एग्जिस्टेंस नहीं होता है. हम इसे खुद से बाहर नहीं निकाल सकते बल्कि लोगों से खुद को जोडक़र अपना अकेलापन दूर कर सकते हैं.

Find your spiritual level

इनर स्ट्रेंथ यानी स्पिरिचुअल स्ट्रेंथ को रियलाइज कर आप अकेलेपन को दूर कर सकते हैं. पॉजिटिव थॉट्स आपकी हेल्प करेंगे और एक बार फिर आप पहले जैसे ही कांफिडेंट फील करेंगे.

आइए जानें डेली लाइफ की ऐसी कई छोटी लेकिन इम्पॉर्टेंट चीजें जो हमें खुश रखने के साथ सोशल एटमॉस्फियर को भी पॉजिटिव बनाती हैं...

•लोग आपको पसंद करें, आपसे मिलकर लोगों को सुकून मिले ऐसा तभी होगा जब आप खुद को पसंद करेंगे. बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाले रितेश वर्मा बताते हैं कि ऑफिस में अपनी धुन में खोए कुछ ऐसे खुशमिजाज एंप्लॉइज होते हैं जिनका साथ सभी को अच्छा लगता है. जब हम खुद एंज्वॉय करते हैं तो दूसरे लोग हमें खुदबखुद कंपनी देने लगते हैं.

 

•लोग आपसे मिलने आएंगे, इसके लिए आप किसी का वेट ना करें. बस अपने दिल के दरवाजे लोगों के लिए खोल दें क्योंकि कोई भी बंद दरवाजे पर नॉक नहीं करना चाहता. अमिताभ श्रीवास्तव कहते हैं कि जब भी वे किसी से हर्ट होते हैं या लगता है कि उन्हें कोई पसंद नहीं करता तो वे अपने दोस्तों के साथ बिताए बेहतर पलों को याद करते हैं. वे कहते हैं, ‘दोस्तों को याद करते ही उनके चेहरे मेरे आंखों के सामने नजर आने लगते हैं और ऐसा लगता है कि वे सभी मुझे मिस कर रहे हैं.’

•किसी की हेल्प करके भी लोगों से जुड़ाव महसूस किया जा सकता है. आप पाएंगे कि आपसे हेल्प लेने वाला जितना खुश है उससे कहीं ज्यादा आप खुश हैं.

•सिर्फ मदद करके ही नहीं आप मदद लेकर थैंक्स कहते हुए भी खुशियां बटोर सकते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में मनोविज्ञान के प्रोफेसर रॉबर्ट इमॉन्स कहते हैं, ‘ओब्लाइज्ड होने और थैंक्स कहने की फीलिंग्स लोगों को कुछ करने के लिए इनकरेज करती हैं. यह लोगों को ज्यादा सोशल और काइंड बनाती हैं’. इसके अलावा हेल्प लेते रहने से आप कांफिडेंट होते हैं कि अपनों की बदौलत आप कोई भी मुश्किल आसान कर लेंगे.

Helping others makes you happy

दूसरों की हेल्प करके खुश रहा जा सकता है, यह साइंस ने भी प्रूव कर दिया है. एक रिसर्च के अकॉर्डिंग जब हम किसी को कुछ देते हैं या किसी तरह से उसकी हेल्प करते हैं तो हमारा ब्रेन एन्डोर्फिन नाम का एक केमिकल बनता है जो खुश रहने में हमारी मदद करता है.

कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस डिपार्टमेंट, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च टीम को भी कुछ ऐसा ही रिजल्ट मिला. टीम के चीफ जॉर्डन ग्रॉफमैन के अकॉर्डिंग, ‘ब्रेन के कुछ पाट्र्स रिवॉर्ड या कुछ भी लेने से ज्यादा देते वक्त एक्टिव होते हैं.

इतना ही नहीं हेल्प करने की इच्छा से कोई काम करते समय ब्रेन के वे पाट्र्स भी एक्टिव होते हैं जो कि हेल्प लेते वक्त एक्टिव नहीं होते हैं. आप किसी को कुछ दे रहे होते हैं तो ब्रेन में कडल हार्मोन ऑक्सिटोसिन बनता है, और ऐसा तभी होता है जब आप किसी से जुड़ाव महसूस करते है.’ तो हेल्प कीजिए और खुश रहिए.

Crowd is not company

According to Francis Bacon, "Little do men perceive what solitude is, and how far it extendeth. For a crowd is not company, and faces are but a gallery of pictures, and talk but a tinkling cymbal, where there is no love."