- केजीएमयू के ट्रॉमा में मरीजों से हर माह 4.5 लाख की लूट

- रिस्ट बैंड में दर्ज होती है मरीज की पूरी डिटेल

- मांगने के बावजूद नहीं दी जाती रसीद

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिविर्सटी (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों के साथ खुलेआम लूट चल रही है। वहीं प्रशासन सब कुछ जान कर भी अंजान बना हुआ है। ताजा मामला है मरीजों की पहचान के लिए बारकोड वाली रिस्ट बैंड के नाम हर माह साढ़े चार लाख की अवैध वसूली का। लेकिन रिस्ट बैंड की रसीद ना देकर इसके नाम पर लूट जारी है। रिस्ट बैंड लेकर वार्ड में पहुंचने पर डॉक्टर उन्हें रिस्ट बैंड वापस कर देते हैं। जिसके बाद ये रिस्ट बैंड सीधे कूड़े में पहुंच रहे हैं। न तो मरीज का फायदा न केजीएमयू प्रशासन का। कागज की बर्बादी सो अलग।

रोजाना 300 की भर्ती

केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में रोजाना लगभग 250 से 300 मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है। इसमें वे मरीज भी होते हैं जो ट्रॉमा के अलावा कीमोथेरेपी या अन्य जांचें और इलाज के आते हैं, लेकिन उनकी भर्ती ट्रॉमा में न होकर सीधे उन विभागों में होती। सभी मरीजों से 350 रुपए का एडमिशन और 50 रुपए रजिस्ट्रेशन व एक रुपए पर्चा का शुल्क वसूला जाता है। इसके अलावा सभी मरीजों से रिस्ट बैंड के लिए भी 50 रुपए वसूले जाते हैं, लेकिन इनकी रसीद नहीं दी जाती। 300 मरीज रोजाना के हिसाब से देखें तो हर रोज लगभग 15 हजार और हर माह लगभग साढ़े चार लाख रुपए के रिस्ट बैंड मरीजों को दिए जाते हैं। लेकिन उनकी रसीद न देकर सीधे कुछ लोगों की जेब में पैसा पहुंच रहा है।

पहचान के लिए होता है बैंड

पिछले वर्ष एक डेड बॉडी और मरीज बदलने की घटनाओं के बाद केजीएमयू प्रशासन ने रिस्ट बैंड लगाना शुरू किया था। जिसके बाद हर मरीज को इमरजेंसी में ही रिस्ट बैंड बांधे जा रहे थे। लेकिन कुछ माह चलने के बाद रिस्ट बैंड की योजना खत्म हो गई। अब एक बार फिर पिछले एक माह से रिस्ट बैंड दिया जा रहा है। लेकिन इसके लिए रसीद नहीं दी जा रही। सोमवार को भर्ती हुए कई मरीजों ने जब काउंटर पर बैठे कर्मचारी से रसीद के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि दीवार पर पढ़ लो। साफ लिखा है कि 50 रुपए रिस्ट बैंड के हैं।

क्या होता है रिस्ट बैंड का फायदा

रिस्ट बैंड में मरीज का रजिस्ट्रेशन नंबर, बार कोड और नाम है। पूरे बैंड में बारकोड के कई स्टीकर हैं। ताकि हर बार जांच के लिए सैंपल पर इन्हें चिपका कर भेजा जाए। इससे न तो मरीज को गलत इंजेक्शन लगेगा और न ही उनका सैंपल बदलेगा। लेकिन वार्डो में अभी कोई व्यवस्था कंप्यूट्राइज नहीं है। शिव कली और रेखा नाम के मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि वार्ड में डॉक्टर ने कहा कि रिस्ट बैंड का कोई यूज नहीं है। इन्हें अपने पास रखिए।

रिस्ट बैंड मरीजों की सेफ्टी के लिए थे। जिसमें बारकोड होता है और मरीज, या सैंपल न बदले। इससे गलत पेशेंट को दवा या ब्लड देने से बचाव होगा। इसे सीपीएमएस उपलब्ध कराता है उनसे जानकारी की जाएगी कि वे रसीद क्यों नहीं दे रहे।

- प्रो। हैदर अब्बास, इंचार्ज, ट्रॉमा सेंटर