गर होता आयोजन
बताया जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन जिस तरह का आयोजन सारनाथ में होना चाहिए वैसा नहीं होता। अगर इस दिन भी भव्य आयोजन होते तो निश्चित ही दुनिया भर के टूरिस्ट्स इस ओर अट्रैक्ट होते। लेकिन जैसी परंपरा सालों से चली आ रही है उसका आज भी बस निर्वहन किया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक भगवान बुद्ध से जुड़े खास दिन को बिल्कुल बिसरा दिया गया है। मजे की बात यह कि एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कहने को तो बुद्ध पूर्णिमा को दो दिनी महोत्सव का आयोजन किया जाता है। लेकिन वह भी सेमिनार, कल्चरल प्रोग्राम और बौद्ध मंदिरों की सजावट तक ही सीमित रहता है। एक्सपट्र्स का मानना है कि इस दिन को यदि अच्छे से प्रमोट किया जाता तो इस खास दिन पर दुनिया भर से काफी संख्या में सैलानी इंडिया आ सकते हैं। लेकिन किसी का इसमें इंटरेस्ट ही नहीं है।