बेंगलुरु के अनाथ आश्रम की घटना
बेंगलुरु में अनाथ आश्रम में रहने वाले बच्चों का आधार कार्ड बनाने की मुहिम चलाई जा रही थी। इस दौरान पता चला कि तीन बच्चे ऐसे हैं जिनका आधार कार्ड पहले से बन चुका है। यह तीनों बच्चे मंदबुद्धि के कारण अपने परिवार से बिछड़ गए थे। जब मोनू नाम के बच्चे का बायोमैट्रिक रिकॉर्ड किया गया तो पाया गया उसके डिटेल्स नरेंद्र नाम के बच्चे से मिल रहे हैं। जो कि मध्य प्रदेश का रहने वाला है। इसके बाद उसके घरवालों से संपर्क किया गया तो पता चला है कि नरेंद्र लापता है। नरेंद्र के पिता को पड़ोसी के फोन पर आए कॉल से पता चला कि उनका बेटा मिल गया है। जब उन्होंने मोनू से बात की तो उन्हें महसूस हो गया कि यह बच्चा उनका बेटा ही है। रमेश ने बताया कि वे लोग परेशान थे। उन्होंने बताया कि उनका बेटा घर से लापता हो गया था। आज दो साल बाद हमने उसे वापस पा लिया।

आधर कार्ड ने बिछड़ों को मिलाया
ओम प्रकाश नाम का एक व्यक्ति का आधार कार्ड नहीं बन सका। जब उनकी डिटेल्स चेक की गई तो पता चला कि झारखंड के रहने वाले एक शख्स ओम प्रकाश के नाम और फिंगरप्रिंट उनसे मैच हो रहे हैं। ओम प्रकाश के पिता आधार की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं। लोगों से आधार कार्ड के फायदों के बारे में बात कर रहे हैं। ओम प्रकाश के पिता का कहना है कि आधार कार्ड जरुरी है। सभी उम्र के लोगों बच्चे से लेकर जवान के पास आधार कार्ड होना चाहिए। हमारे पास आधार कार्ड था। हमने उसका लाभ उठाया। तीसरा बच्चा नीलकांत भी अपने परिवार से मिल सका क्योंकि उसकी डिटेल्स तिरुपति के रहने वाले एक शख्स से मैच हो गई। जांच के बारे में बात करते हुए चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर दिव्या नारायनप्पा ने कहा कि वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान उन्हें पता चला कि इन बच्चों के फिंगरप्रिन्ट्स पहले से ही रिकॉर्ड है।

 

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