- रामगोपाल यादव की पुस्तक के विमोचन पर बोले मुख्यमंत्री अखिलेश

-एकत्र हुआ समाजवादी कुनबा, गलतफहमियां दूर करने की कोशिश

-देर से आए शिवपाल बैठे पीछे, अमर सिंह हाथ पकड़ कर लाए आगे

LUCKNOW (29 June): मौका था समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव के जन्मदिन पर उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक 'संसद में मेरी बात' के विमोचन का। पिछले कुछ दिनों से समाजवादी कुनबे में फैली गलतफहमियों को दूर करने के लिए लोहिया विधि विश्वविद्यालय का मंच जरिया बना तो 'गिले-शिकवे' जुबां पर आ ही गये। इशारों में एक-दूसरे को 'नसीहतें दी गयी तो मान-मनौव्वल की शुरुआत भी हुई। कभी सपा परिवार के लिए बेहद अहम रहे अमर सिंह एक बार फिर मुख्य भूमिका में नजर आए। मुलायम की मौजूदगी में उन्होंने दूरियां कम करने की कोशिशें की और बाद में 'रार' का ठीकरा मीडिया पर ही फोड़ दिया। वहीं मुख्यमंत्री ने अमर सिंह की सुनाई गजल को मौजूं बताते हुए 'रार' पर कहा कि 'मोहब्बत में जुदाई का हक भी होता है.'

समस्याओं के समाधान भी दिए

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रोफेसर राम गोपाल यादव द्वारा विभिन्न मुद्दों पर संसद में दिये गये भाषण वास्तव में देश, प्रदेश एवं जनसमस्याओं के बारे में समाजवादी विचारधारा के परिचायक हैं। उनके भाषणों पर आधारित पुस्तक पढ़ने से स्पष्ट होता है कि उनके द्वारा केवल विभिन्न समस्याओं पर विचार ही नहीं व्यक्त किये गये, बल्कि समस्याओं के स्थाई समाधान के सुझाव भी दिये गये। उन्होंने राम गोपाल यादव को उनके जन्मदिन पर बधाई भी दी। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह के लेखों पर आधारित पुस्तक 'धर्म निरपेक्ष राजनीति और मुलायम सिंह यादव' का भी विमोचन किया गया।

सपा की सोच व्यवहारिक: मुलायम

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जनसमस्याओं के समाधान के लिए समाजवादी विचारधारा अधिक तर्कसंगत एवं उदार है। देश एवं प्रदेश की समस्याओं एवं कठिनाइयों को लेकर सपा की सोच अधिक व्यवहारिक एवं सर्वमान्य है। इस परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए और यह तभी संभव है, जब समाजवादी विचारधारा में विश्वास रखने वाले कार्यकर्ता और नेता इससे संबंधित पुस्तकों को पढ़ें-लिखें और समझें। उन्होंने नौजवानों से राम गोपाल यादव की पुस्तक को पढ़ने की अपील की।

मेरा राजनीति में आना नेताजी की देन

वहीं राम गोपाल यादव ने इस मौके पर कहा कि आज राजनीति के जिस मुकाम पर वे पहुंचे हैं, यह नेताजी की देन है। उन्होंने जनता से जुड़े सभी मुद्दों को महत्वपूर्ण एवं आवश्यक बताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों की दृष्टि व्यापक एवं व्यवहारिक होनी चाहिए। लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने पुस्तक को अत्यंत उपयोगी एवं कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करने वाला संकलन बताया। उप्र हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने लोकार्पित पुस्तक को उपयोगी, सारगर्भित एवं विचारोत्तेजक करार दिया। कार्यक्त्रम में सांसद अमर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक, हेमन्त शर्मा, हरिशंकर व्यास, सरिता शर्मा ने भी विचार व्यक्त किये।

हाथ पकड़कर लाए अमर सिंह

कार्यक्रम शुरू होने के कुछ देर बाद अचानक सभागार में शिवपाल सिंह यादव पहुंचे और नीचे सभागार में लगी कुर्सी पर बैठ गये। तक तक केक कट चुका था। मंच पर मौजूद नेताओं के बुलाने पर वे ऊपर आए और मुख्यमंत्री के पीछे लगी कुर्सियों की कतार में जाकर बैठ गये। वेद प्रकाश वैदिक ने मुख्यमंत्री के कान में कुछ कहा जिसके बाद मुख्यमंत्री ने पीछे पलटकर भी देखा। तभी अमर सिंह शिवपाल के पास पहुंचे और उनका हाथ पकड़कर आगे ले आए। अमर सिंह और शिवपाल मुख्यमंत्री से तीन-चार कुर्सियां छोड़कर किनारे बैठे रहे।

अखिलेश के बोल

- अमर अंकल ने मेहंदी हसन की गजल सुनाई है, इसमें एक और लाइन है 'मोहब्बत में जुदाई का हक भी होता है'

- यहां जितने लोग मौजूद हैं, सब नेताजी के बनाए हुए हैं। उनके आदर्श पर चलने वाले हैं।

- अमर सिंह अंकल ने इस तरह बधाई दी जैसे कोई 25 साल का युवा बधाई दे रहा हो

- आज सबने प्रोफेसर साहब की उम्र कम कर दी।

मुलायम के बोल

- नौजवानों को किताब जरूरी पढ़ना चाहिए। समस्या के साथ उसका समाधान भी दिया गया है।

- समस्याओं का समाधान आलोचना नहीं। जेएनयू पर सबने आलोचना की, रामगोपाल ने कहा समाधान भी दीजिए।

- राज्यसभा के सभापति, उपराष्ट्रपति भी रामगोपाल की तारीफ कर चुके हैं।

वे संक्षेप में सही बात बोल जाते हैं।

- रामगोपाल मेरे भाई हैं, हम तो तारीफ करेंगे ही, पर दूसरे भी तारीफ करते हैं।

- जब हम लोहिया ट्रस्ट बना रहे थे तो सब विरोध करते थे। अब लोहिया सभागार में ही सारे कार्यक्रम होते है।

अमर सिंह के बोल

- शिवपाल बनारस का कार्यक्रम छोड़कर बड़े भाई के कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए है।

- मीडिया के पास और कोई मुद्दा नहीं है। सपा में सभी को बोलने और सोचने का हक है।

- मुलायम जिसको छू दें, वह राजा बन जाता है। रामूवालिया पर कृपा की तो जेल मंत्री बन गये। पार्टी और देश चलाने के गुण है।

- समाजवादी परिवार अविभाज्य है, कहीं कोई टूट नहीं है। रामगोपाल पढ़ा रहे थे लेकिन राजनीति में फंसा लिए गये।

- नेताजी में सरस्वती की बुद्धि, अखिलेश का चेहरा लुभावना, शिवपाल में धैर्य, पार्टी की रीढ़ हैं शिवपाल।

शिवपाल के बोल

- नयी पीढ़ी के समाजवादियों को समाजवाद का ज्ञान नहीं है।

- चुनाव में सांप्रदायिक शक्तियों से सीधा टकराव होना है।

- युवाओं को समाजवादी और लोहियावादी विचारों को पढ़ने की जरूरत है।

रामगोपाल के बोल

- नेताजी ने ना चाहते हुए भी राजनीति में उतारा, ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़वाया।

- आज जो भी हूं, नेताजी की वजह से। पिछले 24 साल से बिना गैप के राज्यसभा और लोकसभा का सदस्य हूं

- राज्यसभा में केवल पांच-छह नेता ही हमसे सीनियर हैं। पहले संख्याबल कम था तो बोलने का मौका भी नहीं मिलता था।