रात 7.57 बजे दें अघ्र्य
पंडित शरद चंद्र मिश्रा बताते हैं कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ कहते हैं। इसमें गणेश जी की पूजन करके उन्हें पूजन दान से प्रसन्न किया जाता है। इसका विधान चैत्र की चतुर्थी में लिख दिया है लेकिन विशेषता यह है कि इसमें गेंहू का करवा भर के पूजन किया जाता है और विवाहित लड़कियों के यहां चीनी के करवे पीहर से भेजे जाते हैं। इसमें कहानी सुनकर चंद्रोदय में अघ्र्य देकर व्रत खोला जाता है। उन्होंने बताया कि अघ्र्य देने के लिए शुभ मुर्हूत रात 7.57 बजे है। चूंकि सूर्योदय 6.21 बजे के बाद से पूरे दिन और रात चतुर्थी तिथि है, इसलिए रात को अघ्र्य देकर पारण किया जा सकता है।