दो कंपनियों ने किया क्वालिफाई

सिटी में 30 लो फ्लोर बसों की सप्लाई करने के लिए डाले गए टेंडर में टेक्निकल बोर्ड ने टाटा मोटर्स और अशोक लीलैंड को क्वालिफाई कर लिया गया है। इन दोनों कंपनियों ने अपनी लो फ्लोर बस का जो मॉडल और फीचर दिया है, वह रांची म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के स्टैंडर्ड के अनुसार है। ऐसे में अब बहुत जल्द इन दोनों कंपनियों में से किसी एक को फाइनलाइज करके लो फ्लोर बस सप्लाई करने का ऑर्डर दे दिया जाएगा।

ट्रैफिक जाम से राहत
इसके शुरू होने के बाद रांची उन सेलेक्टेड सिटीज में शामिल हो जाएगी, जहां सिटी के लोगों के लिए नगर निगम के द्वारा लो फ्लोर एसी बसें चलाई जाएंगी। जेएनएनयूआरएम योजना के तहत देश की कुछ सेलेक्टेड सिटी को ही लो फ्लोर बसें चलाने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने फंड दिया है। इन बसों के चलने से एक तरफ जहां सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार आएगा। वहीं ट्रैफिक जाम से निपटने में मदद मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट व्हीकल्स की अपेक्षा पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा और सिटी की सड़कों से ट्रैफिक का बोझ कम होगा, जिससे लोग राहत की सांस लेंगे।

लेडीज के लिए सिक्योरिटी  
देश की राजधानी दिल्ली और बेंगलुरू की तर्ज पर सिटी में भी चलनेवाली लो फ्लोर बसें भी लेडीज के लिए सेफ होंगी। इन बसों में लेडीज की सिक्योरिटी के लिए इमरजेंसी बटन होगा, जो ऑटोमेटिक व्हीकल लोकेशन (एवीएल ) के माध्यम से कंट्रोल रूम से जुड़ा होगा। इन बसों में सीसीटीवी भी लगे रहेंगे। इन बसों में अंदर भी एक डिस्प्ले बोर्ड होगा, जिसमें हेल्पलाइन नंबर होंगे। मेट्रो ट्रेन की तर्ज पर बस स्टॉप आने से पहले ही वह डिस्पले बोर्ड पर दिखाई देगा। इन बसों में ग्लोबल पोजिश्निंग सिस्टम (जेपीएस)भी लगा होगा।

फिजिकली चैलेंज्ड को प्रायोरिटी  
इन लो फ्लोर बसों में बुजर्ग और फिजिकली चैलेंज्ड लोगों का भी ध्यान रखा जाएगा। इन बसों में स्पीड ब्रेकर का झटका पैसेंजर्स को नहीं लगेगा। इस बस में एक ऐसा सिस्टम लगा होगा कि स्पीड ब्रेकर के पास पहुंचने पर ड्राइवर एक बटन दबाएगा। उस बटन के दबते ही बस उस ब्रेकर को आसानी से बस पार कर जाएगी। पैसेंजर को यह पता भी नहीं चलेगा। इन बस में इस बात की खासियत भी होगी कि अगर सफर के दौरान बस में कोई खराबी आ जाएगी तो बस में लगा कंप्यूटर सिस्टम यह पता लगा लेगा कि बस के किस हिस्से में पॉल्ट्स है।