kanpur@inext.co.in

KANPUR : एचबीटीआई एक ऐसा संस्थान है। जहां पर इंजीनियरिंग करने की 2वाहिश र2ाने वाले ज्यादातर बच्चे पढ़ने का सपना दे2ाते हैं। अब अगर हम उस संस्थान के डॉयरे1टर प्रो। एके नागपाल की बात करें तो हाईस्कूल में महज 60 फीसदी नंबर ही पाए थे। इंटर वह सेकेंड डिवीजन पास हुए। इसके बाद बीएससी, बीटेक और एमटेक में उन्होंने 70 फीसदी से ज्यादा स्कोर किया और आज वह प्रदेश के एक सबसे प्रतिष्ठित टे1िनकल इंस्टीटयूट के डॉयरे1टर हैं। यह बात हम इसलिए बता रहे हैं कि जो बच्चे कम नंबर आने की वजह से परेशान हैं दरअसल सफलता का असल पैमाना क5ाी 5ाी नंबरों से नहीं प्रति5ा से तय होता है। इसलिए प्रति5ा और लगन पर 5ारोसा करना ज्यादा श्रेष्ठ है, नहीं तो हिन्दी साहित्य के सबसे बड़े नाम आचार्य रामचंद्र शु1ल तो हाईस्कूल में फेल हो गए थे फिर 5ाी उन्हें उनके साहित्यिक योगदान की वजह से ही आज तक याद किया जाता है।

हाईस्कूल सेकेंड डिवीजन फिर 5ाी बने आईएएस

कौशलपुरी में रहने वाले राहुल तिवारी इस समय पंजाब कैडर से आईएएस अधिकारी है। उन्होंने अपने दूसरे अटे6प्ट में ही आईएएस में 119वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन अगर हम उनके एकेडमिक रिकार्ड की बात करें तो वह पढ़ाई में बेहद साधारण थे। हाईस्कूल उन्होंने सेकेंड डिवीजन से पास किया था। राहुल तिवारी का उदाहरण हम आपको इसलिए दे रहे हैं कि कम नंबर आने के बाद 5ाी उन्होंने आईएएस को चैलेंज की तरह लिया और उसमें सफलता पाई। ऐसे में जिन स्टूडेंट्स के नंबर कम आए है उन्हें निराश होने की बिल्कुल 5ाी जरूरत नहीं है। वह आगे की सोचे न की जो हो चुका उसकी।

रिजल्ट से न करे टैलेंट का मूल्याकंन

रिजल्ट में आने वाले नंबरों से क्या किसी बच्चे की प्रतिभा को आंका जा सकता है। इस पर लोगों की अलग अलग राय हो सकती है, लेकिन सिर्फ कुछ सबजेक्ट्स में आए नंबर ही बच्चे बच्चे के असल टैलेंट के लिए बेहतर हो यह भी संभव नहीं है। दरअसल मौजूदा शिक्षा प्रणाली नंबर्स को ही प्राथमिकता देती है। ऐसे में किसी बच्चे की प्रतिभा को कुछ सबजेक्ट्स में उसके प्रदर्शन से जोड़ कर देखना कितना सही है।

अब तो शुरुआत हुई है

इंटरमीडिएट में जिन बच्चों के कम मा‌र्क्स आए हैं। उन्हें व उनके पैरेंट्स को समझना होगा कि यह तो उनकी लाइफ की शुरुआत है। मा‌र्क्स के आगे बहुत कुछ है। यह कहना है साइकियाट्रिस्ट डॉ। धनंजय चौधरी का। उन्होंने बताया कि यह सही है कि करियर बिल्डिंग में हाईस्कूल-इंटर का रिजल्ट बहुत मायने रखता है, लेकिन अगर बच्चे ने सिटी या स्कूल में टॉप नहीं किया तो इसका मतलब यह नहीं कि वह किसी लायक नहीं करियर काउंसलर व मोटीवेशनल स्पीकर अरुणेन्द्र सोनी के अनुसार मौजूदा समय में कई करियर ऑप्शन हैं। एक्टिंग, सिंगिंग, डांसिंग, स्पो‌र्ट्स, एडवेंचर फील्ड में ढेरों ऑप्शन हैं, जहां करियर बहुत अच्छे से सेटल किया जा सकता है। बस, पैरेंट्स को समझदारी से काम लेना होगा। बच्चों की प्रतिभाओं को निखारें, उन्हें फकत डॉक्टर-इंजीनियर जैसे करियर ऑप्शन के बोझ तले दबाएं नहीं वरना बच्चा किसी भी फील्ड में अच्छा नहीं कर पाएगा।

----------------------------

वर्जन वर्जन

गलतियों से सीखना चाहिए

एसएसपी शलभ माथुर बताते हैं कि कोई फ‌र्स्ट डिवीजन लाकर भी खुश हो जाता है तो कोई टॉप करके भी और अच्छा करने की सोचता है। वह शुरू से ही पढ़ाई में अच्छे थे। हाईस्कूल, इंटरमीडिएट में उन्होंने 80 फीसदी से ज्यादा ही नंबर स्कोर किए, लेकिन उससे ज्यादा महत्वपूर्ण अपनी गलतियों से सीखना है तभी आप आगे बढ़ सकते हैं। नंबर को अपने करियर की सफलता का पैमाना न मानिए।

सीखना ज्यादा जरूरी है

आईआईटी कानपुर में फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ। एचसी वर्मा बताते हैं कि पढ़ाई में बेहद अच्छा होना ही आपका अच्छा भविष्य तय नहीं करता है। आपकी लगन और जो करना चाहते हैं उसके प्रति अप्रोच आपकी असल सफलता तय करता है। वह पढ़ाई में भले ही हमेशा मेधावी रहे हो, लेकिन उन्होंने पढ़ाई में सबसे ज्यादा सीखने को बेहद सामान्य बुद्धि के लोगों से ही मिला।