- 5 लाख उपभोक्ताओं में 350 ने ही छोड़ी सब्सिडी

BAREILLY:

राष्ट्रहित में घरेलू गैस की सब्सिडी छोड़ने की प्रधानमंत्री की अपील बरेलियंस पर बेअसर साबित हो रही है। यही वजह है कि बरेली में सिर्फ 350 दिलदार अमीर निकले, जिन्होंने सब्सिडी छोड़ने का फैसला लिया। राष्ट्रहित के मसले पर कुछ हद तक राजनीति का भी असर दिख रहा है।

350 ने छोड़ी सब्सिडी

'पहल' योजना दिसम्बर 2014 में शुरू की गई थी, लेकिन 30 जून तक मात्र 350 लोगों की अपनी गैस सब्सिडी छोड़ी है। जबकि, एलपीजी कंपनियों ने बरेली डिस्ट्रिक्ट में 10,000 का टारगेट मान कर चल रही थी। लॉस्ट जून तक ग्रेस और पॉर्किंग पीरियड बीत जाने के बाद भी सब्सिडी छोड़ने वालों का ग्राफ बढ़ नहीं रहा है। जबकि डिस्ट्रिक्ट में तीनों एलपीजी कंपनियों से 5 लाख से अधिक उपभोक्ता जुड़े हुए हैं।

बैनर, पोस्टर भी नहीं अा रहे काम

निर्धारित टारगेट को पूरा करने के लिए कंपनियों का बैनर, पोस्टर और होर्डिग भी काम नहीं कर रहा है। कंपनियों ने बाकायदा पंफलेट और पोस्टर के जरिए अवेयरनेस अभियान भी चला चुकी हैं। डिस्ट्रिक्ट में वर्क कर रही 57 एजेंसियों ने भी लोगों के बीच जाकर प्रचार-प्रसार किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने तो गैस सब्सिडी छोड़ने वालों को 'स्क्रॉल ऑफ ओनर' से सम्मानित करने की भी बात कही थी। बावजूद इसके बरेलियंस सब्सिडी छोड़ने को रेडी नहीं है।

बस मोदी के समर्थक

यहां भी बस मोदी समर्थकों की ही सहभागिता है। यदि हम नेताओं की बात करें तो, मंत्री संतोष गंगवार, सांसद धर्मेद्र कश्यप, विधायक अरूण कुमार और राजेश अग्रवाल व बीजेपी समर्थक गुलशन आनंद ही आगे आए है। जबकि, बाकी पार्टी के नेता सब्सिडी छोड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं है। वहीं दूसरी ओर इस क्रम में एलपीजी कंपनियों के अधिकारी शामिल है, लेकिन बाकी के आर्थिक सम्पन्न लोग भी सहभागिता निभाना नहीं चाहते हैं।

अब तो और है चुनौती

30 जून तक डीबीटीएल से जुड़ने का काम पूरा हो चुका है। 88 परसेंट लोग इस योजना से जुड़ चुके हैं। बाकी 12 परसेंट लोगों को कंपनियां उपभोक्ता नहीं मान रही हैं। कंपनियों का कहना है कि बचे हुए लोग दोहरे कनेक्शन वाले और शहर छोड़ चुके लोग हैं। इन्हें अब लिस्ट से हटाने का काम किया जा रहा है। ऐसे में एक सबसे बढ़ी प्रॉब्लम्स यह है कि जो लोग सब्सिडी लेने के अप्लाई कर चुके हैं क्या वह अब दोबारा सब्सिडी न लेने के लिए आगे आएंगे।

सब्सिडी छोड़ने वालों की संख्या 350 है। हम लोगों ने इस संबंध में काफी प्रयास किए, लेकिन कोई आगे नहीं आना चाह रहा है।

कैलाश गुप्ता, एरिया मैनेजर, इंडियन ऑयल