क्या कहना है परिवहन मंत्री का
वहीं दूसरी ओर एक सवाल का जवाब देते हुए परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि विधेयक के पारित होने से पर्यावरण की सुरक्षा पूरी तरह से सुनिश्चित होगी और गरीबों को रोजगार मिलेगा. उन्होंने यह भी बताया कि देश में लगभग एक करोड़ लोग रिक्शा और ठेला चलाते हैं. हम उन्हें शारीरिक श्रम से पूरी तरह से मुक्त करना चाहते हैं. उन रिक्शों की जगह ई-रिक्शा लाना चाहते हैं.

'हम गरीबों के खिलाफ नहीं हैं'
खबर है कि यह विधेयक ई-रिक्शा चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस में भी हर तरह से छूट दिलाता है. हालांकि, यह कांग्रेस चाहती थी कि इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाता. इसको लेकर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया है कि यह एक मानक प्रक्रिया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह गलत मिसाल ही पेश करता है. ऐसे में तो स्थायी समिति की कोई भूमिका नहीं रह जाएगी. उन्होंने कहा कि हम गरीबों के खिलाफ नहीं हैं.

इसको बताया गरीब समर्थित और पर्यावरण के अनुकूल
केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने इसको लेकर कहा कि इस सत्र में कई विधेयकों को स्थायी समिति के पास भेजा गया है, लेकिन हमें जहां लगता है कि ज्यादा जरूरत नहीं है, तो हम समय को आखिरकार नष्ट क्यों करें. इससे पहले, कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने भी ई-रिक्शा की सुरक्षा पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि क्या उन्हें संवेदनशील इलाकों में चलाने की अनुमति देंगे. संवेदनशली इलाके जैसे संसद के नजदीक. अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने इस विधेयक की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह गरीब समर्थित और पर्यावरण के अनुकूल है.

वाहन खुद चालक का होगा अपना
वहीं नितिन गडकरी ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया जिसके मुताबिक अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस विधेयक को लाया गया. इसको लेकर उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही इसको लेकर दिशा-निर्देश तैयार कर लिए थे, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इसपर निर्देश दिया था कि ई-रिक्शा को मोटर वाहन अधिनियम के अंदर ही लाना चाहिए. इसी के साथ ही विधेयक में यह भी कहा गया है कि वाहन को कहीं भी भाड़े पर नहीं लगाया जा सकेगा. यह चालक का अपना होगा.

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