Lucknow: प्रदेश में माइनिंग में बड़ा घोटाला कर पैसों का खूब बंदर बांट किया गया। खनन माफिया किस कदर बेखौफ हैं इसका उदाहरण गोरखपुर में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम से फर्जी परमिट जारी कर चलाया जा रहा अवैध खनन का कारोबार है। इसका खुलासा आई नेक्स्ट ने कल किया था।
आई नेक्स्ट की तफ्तीश में पता चला कि  प्रदेश में अवैध खनन के अरबों के कारोबार का लखनऊ से संचाजित होता है। अकेले सोनभद्र से पिछले दस साल के दौरान लगभग दस अरब रुपये से ज्यादा काला धन लखनऊ पहुंचाया गया। आई नेक्स्ट की तफ्तीश में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं।
खनन वाले जिलों को परमिट राजधानी में खनन डायरेक्ट्रेट से डायरेक्टर की अनुमति के बाद जारी किया जाता है। पिछले कुछ सालों में पट्टों के लिए जारी किये परमिट रेशियो से कहीं ज्यादा हैं। सोनभद्र में 27 फरवरी को अवैध खनन के दौरान हुए हादसे में 15 लोगों के मारे जाने के बाद शासन ने खनन पर रोक लगा दी थी।
सोनभद्र में पिछले डेढ़ महीने से जिलाधिकारी का पद भी खाली पड़ा है। डीएम का चार्ज देख रहे सीडीओ शफाकत हुसैन को भी गुरुवार को हटा दिया गया। यानी सोनभद्र में ना तो अब डीएम हैं और ना ही सीडीओ। जिले के दोनों सबसे महत्वपूर्ण पद पर किसी की तैनाती ना होने से जिले का विकास काम तो प्रभावित हो ही रहा है साथ ही पत्थर-गिट्टी का रेट भी आसमान छू रहा है।
होती है करोड़ों की वसूली
सोनभद्र में अवैध खनन से हर महीने करोड़ों का वारा न्यारा होता है। इसके लिए सोनभद्र से लेकर राजधानी तक विभाग से जुड़े लोगों तक इसका हिस्सा पहुंचता था। पिछली सरकार के दौरान सोनभद्र में माइनिंग से होने वाली अवैध कमाई को वसूलने की जिम्मेदारी माइनिंग मिनिस्टर रहे बाबूसिंह कुशवाहा के करीबी एक एमएलसी को थी।
तीन विभाग देखते हैं खनन का काम
सोनभद्र में वन विभाग, खनिज विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से बड़े पैमाने पर खनन हो रहा था। जिस खनन से सारे डिपार्टमेंट के अधिकारी मालामाल हो रहे थे लेकिन फरवरी में जब हादसा हुआ तो सभी डिपार्टमेंट ने इस जमीन को अपना मानने से इंकार कर दिया। इसके बाद कई बार सर्वे हुए लेकिन यह साबित नहीं हो पाया है कि आखिर यह जमीन किसकी है।
पावर फुल होता है खान अधिकारी
इस जिले में खान अधिकारी बहुत पावरफुल माना जाता है। यहां खान अधिकारी के आगे किसी की नहीं चलती। सूत्रों की मानें तो कई बार खान अधिकारी स्थानीय डीएम पर भारी पड़ चुका है और ट्रांसफर तक कराये जा चुके हैं। सोनभद्र में इस पोस्ट के लिए पिछले पांच साल के दौरान सिर्फ दो खान अधिकारियों ने पूरे पांच साल गुजार दिये।
पूरे कार्यकाल के दौरान एक दूसरे को मात देने का सिलसिला चलता रहा। 27 फरवरी का ओबरा के बिल्ली मारकुण्डी में हुए हादसे के बाद खान अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया।
एक आदमी को 18 पट्टे
पिछली बसपा सरकार के दौरान सोनभद्र में खनन माफियाओं ने दोनों हाथों से पैसे बटोरे। पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के करीबी आरपी जायसवाल के करीबी को सोनभद्र में 18 पट्टे खनन के लिए एलाट किये गये। जबकि नियमत: एक से अधिक पट्टा नहीं दिया जा सकता।
लखनऊ से जारी होता था परमिट
खनन के रेशियो के हिसाब से परमिट एलॉट किये जाते थे। एक महीने में अधिकतम चार सौ परमिट के लिए पर्चियां दी जा सकती है लेकिन सिर्फ सोनभद्र में लगभग दस हजार पर्चियां बांटी गयीं। यह परमिट खनन निदेशक के कार्यालय से जारी किया जाता था। यहां राम बोध मौर्य और भाउनाथ सिंह डायरेक्टर थे जो पूरे प्रदेश में परमिट बांटते थे।
बिना जांच के ही जारी हो गया एनओसी
सोनभद्र जिले में सब कुछ आसानी से उपलब्ध है बस पैसा खर्च करने वाला चाहिए। नियम के मुताबिक किसी भी खनन पट्टे के लिए खनिज, वन और राजस्व विभाग से एनओसी की जरुरत होती है। इसके लिए बकायदा तीनों डिपार्टमेंट की ज्वाइंट कमेटी सर्वे करती है जिसके बाद एनओसी जारी की जानी चाहिए। लेकिन सोनभद्र में नियम कानून को ताक पर रख कर एनओसी जारी की गयी।
यहां तक कि बिल्ली मारकुण्डी में आराजी संख्या 4478, 6229 और 3567 जो मिनजुमला नम्बर थे। जिनकी एनओसी जारी नहीं की जा सकती थी उसकी भी एनओसी जारी कर दी गयी।
पहाड़ बन गयी है खाई
अवैध खनन का आलम यह है कि अवैध खनन से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ गहरे खाई में तब्दील हो चुके हैं। इस क्षेत्र की पत्थर की खदानें 50 मीटर से लेकर 200 मीटर तक गहरी हो चुकी हैं। इन खनिज पदार्थों के दोहन के लिए माफि याओं और सफ़ेदपोशों ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी थी। खनन माफि या विंध्य की पहाडिय़ों पर खुलेआम अवैध खनन करवा रहे हैं।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र और डीएम नहीं
सोनभद्र नक्सल प्रभावित क्षेत्र है और पिछले डेढ़ महीने से वहां डीएम की पोस्ट खाली पड़ी है। सूत्रों की मानें तो कोई भी आईएएस अधिकारी सोनभद्र नहीं जाना चाहता। सोनभद्र में डीएम रहे वीवी पंत का 29 मार्च को तबादला कर दिया गया था उसके बाद से आज तक किसी की पोस्टिंग वहां नहीं की गयी है।

सोनभद्र में सिर्फ अवैध माइनिंग ही नहीं हुई है बल्कि यहां क्रिमनल माइनिंग हुई हैं क्योंकि पिछले पांच साल के दौरान यहां कई मजदूरों की जान भी गयी जिनको पर्याप्त मुआवजा भी नहीं मिला। 27 फरवरी की घटना के बाद से यहां काम बंद है लेकिन वर्तमान प्रदेश सरकार भी इसकी जांच में लीपा पोती कर रही है। सोनभद्र में हुए माइनिंग और मनरेगा घोटाले के आरोपी को पंचम तल पर जगह दे दी गयी है। ऐसे में इंसाफ की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
विजय सिंह गौड़
ओबरा से सात बार के विधायक

इल्लीगल माइनिंग का काम पूरी तरह से बंद है। पिछली सरकार के दौरान सोनभद्र को खनन माफियाओं ने खोखला कर दिया है। सपा सरकार इसकी जांच करा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आने वाले दिनों में भी यहां इल्लीगल माइनिंग ना हो।
अविनाश कुमार
स्थानीय विधायक

सीएम के नाम से इल्लीगल माइनिंग की खबर मिली है। गोरखपुर के डीएम से इसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है। इस घटना में जिसने भी इस तरह की हरकत की है उसे बख्शा नहीं जाएगा। सोनभद्र में डीएम की तैनाती नियुक्ति विभाग को करना है। इसके बारे में कोई कमेंट नहीं कर सकता।
आरएम श्रीवास्तव
प्रमुख सचिव गृह

Reported By: Yasir Raza