LUCKNOW :

बांस की ट्रे, लैंप,की-होल्डर, फ्लॉवर स्टैंड आदि देखने में जितने खूबसूरत लगते हैं वहीं यह आपके स्टेटस को भी मेंटेन करते हैं.महोत्सव इन दिनों इन चीजों की खासी मांग हैं.असम की कारीगरी का नजारा यहां लगे एक स्टॉल पर देखने को मिल रहा है। स्टॉल पर दीवार में टांगने वाली घड़ी, फ्लावर पॉट, लैंप सेट, लेटर बॉक्स जैसे डिजाइनर आइटम लोगों को काफी पसंद आ रहे है। इसकी खासियत यह है कि ये सब बांस से बने हुए है। बांस के इन डेकोरेटिव आइटम को बनाने में लगभग दो दिन लगते हैं.सबसे पहले बांस को पानी में भिगोकर महीन छिला जाता है.फिर बांस की खापच्चियों को हाथ से बुनते है। तब पॉलिश की जाती है।

पिछले चार साल से महोत्सव में आ रहा हूं। इस बार बिक्री ज्यादा हुई है। लोग एंटिक पीस को पंसद कर रहे हैं। खासकर चाय की ट्रे व फ्लॉवर पॉट की सबसे ज्यादा डिमांड है।

खलील

आखिरी नवाब द्वारा बनाया गया था सिंकदर बाग

नवाब वाजिद अली शाह जो अवध के आखिरी नवाब थे उन्होंने सिंकदर बाग बनवाया था। उन्होंने इस परिसर में मध्य में एक मंडप का निमार्ण करवाया था। जहां वह बैठकर रास लीला, कत्थक नृत्य, संगीत संध्या और मुशायरे सुनना पसंद करते थे। वह कला के शौकीन व जानकार थे। सिंकदर बाग 1857 में आजादी की पहली लड़ाई में ब्रिटिश सेना के खिलाफ एक गढ़ में बदल गया था। अंग्रेजी सेना और क्रांतिकारियों के बीच युद्ध हुआ जिसमें कई क्रांतिकारी शहीद हुए जबकि सैकडों की संख्या में अंग्रेज सैनिक भी मारे गये।

मैं दो बार महोत्सव आया हूं। इस बार सबसे अच्छा फन व फूड जोन है। पिछली बार की अपेक्षा कुछ कमियां जरूर रहीं मगर, ओवर ऑल महोत्सव अच्छा रहा।

आदित्य

2. मुझे खाना बहुत पसंद है इस बार यहां पर राजस्थानी, साउथ इंडियन के अलावा और भी बहुत सी डिशेश मौजूद हैं.इस बार महोत्सव सही समय पर लगा जिसके कारण कई बार आना हो सका।

हितेंद्र

3. महोत्सव इंज्वॉयमेंट की सबसे अच्छी जगह है। यहां पर फु ल टू धमाल के साथ कई लोगों से भी मुलाकात हो जाती है। जिनसे कभी कभार ही मिल पाते हैं। दोस्तों के साथ तो महोत्सव का मजा और बढ़ जाता है।

शुभम

4. महोत्सव तो मैं कई बार आता हूं पास में रहने के कारण जब दिल करता है आ जाता हूं। महोत्सव मतलब फुल इंच्वॉयमेंट है। दोस्तों के साथ आने का अपना अलग ही मजा है।

लियाकत

हुनर को मिला पुरस्कार

शहर के हुनरमंद बच्चों को मंच प्रदान करने के मकसद से महोत्सव में हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं के बच्चों को अंतिम दिन सम्मानित किया गया। गायन, नृत्य, वादन समेत अनेक विधाओं में होने वाली प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सोमवार को सम्मानित किया गया। युवा महोतसव का प्री राउंड जनेश्वर मिश्र पार्क और पायनियर पीजी कॉलेज में संपन्न हुआ था.फाइनल प्रतियोगिता लखनऊ महोत्सव के मुख्य पंडाल में हुई। युवा महोत्सव के संयोजक मयंक रंजन ने सभी विजेताओं को पुरस्कृत किया। पुरस्कार वितरण से पहले अजय चौहान व अभिषेक श्रीवास्तव ने अपने गायन से लोगों का दिल जीत लिया। अजय ने तुमको भी है खबर, मुझकों भी है पता गाकर वाहवाही लूटी, वहीं अभिषेक ने नजरों से नजरें मिले तो गाकर लोगों की तालियां बटोरीं। इसके बाद नृत्यांगना ग्रुप के कलाकारों ने कथक की भावपूर्ण प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया। उन्होंने ओम नम: शिवाय पर शुद्ध कथक पेश किया। युवा महोत्सव के समापन समारोह में रमाकांत ने अपनी सुरीली आवाज से सभी को दीवाना बनाया। उन्होंने तुम याद नहीं हमको जबकि प्रदीप ग्रुप के कलाकारों ने बॉलीवुड गानों पर डांस किया।

ये बने विनर

विभिन्न प्रतियोगिताओं के जूनियर वर्ग में हर्षदीप यादव, विकास, ऋषिता अभिषेक, तनिष्का बंसल,विश्वास कुमार,आदित्य व सक्षम,श्रीवांशू पांडे,आदित्य श्रीवास्तव,तान्या रावत,आदिव श्रीवास्तव,प्रियांशु,आनंद कृष्णा,आराध्य श्रीवास्तव,शिवांक व हिमांशू,आराध्य श्रीवास्तव और शैली पांडे को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। सीनियर वर्ग की विभिन्न प्रतियोगिताओं के विनर अंकिता,सुशील, विपुल, रिचा गुप्ता, मांडवी व पारिजात, रश्मि शर्मा,अभिषेक श्रीवास्तव, तान्या वर्मा, जूबिया खातून,प्रियंका थापा,आदेश गुप्ता,मांडवी तिवारी, प्रिया श्रीवास्तव व भावना सिंह,आदित्य मिश्रा रहे।

ग्रुप सिंगिंग में सीएमएस राजेंद्रनगर, ग्रुप डांस में न्यू सरस्वतिका, ग्रुप डांस जूनियर में सुर झंकार, ग्रुप डांस सीनियर में एफए अकादमी, नुक्कड़ नटक में नवयुग पीजी कॉलेज, भरतनाट्यम में चिनमोई विश्वास, कलश डेकोरेशन में निधि सक्सेना, फ्लॉवर डेकोरेशन में वंशिका, कबाड़ से जुगाड़ में समी, कोलाज में तान्या वर्मा, इंग्लिश गीत में अंजना शर्मा, ट्रैक युगल गायन में रेनुका और फोक डांस में अक्षिता आर्या विनर रहीं।

खरीदारी को उमड़ी भीड़

सोमवार को महोत्सव का अंतिम दिन होने से यहां जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। आशियाना के स्मृति उपवन में चल रहे दस दिवसीय लखनऊ महोत्सव का सोमवार को औपचारिक रूप से समापन हो गया। अंतिम दिन लाखों की संख्या में लोग महोत्सव में खरीदारी करने पहुंचे।

महिलाओं ने खरीदा जरूरी सामान

सोमवार को ज्यादातर लोग शॉपिंग करने आये। महिलाओं ने घरेलू सामान किचन क्रॉकरी, फ्लॉवर पॉट, कालीन, फर्नीचर की खूब खरीदारी की। महोत्सव में इस बार कई प्रदेशों की कलाओं को लोगों ने काफी पसंद किया। फिरोजाबाद की खूबसूरत चूडि़यां ,सहारनपुर का फर्नीचर , भदोई की कालीन लोगों को खूब लुभायी। असम से आए कारीगरो के हाथ से बने सामान लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं। वहीं कश्मीरी शॉल और जयपुरी रजाईयों को आखिरी दिन काफी ग्राहक मिले।

फूड व फन जोन में रही रौनक

फन व फूड जोन में भी मंडे को खासी भीड़ रही। खान पान के शौकीन लोगों से फूड जोन सबसे ज्यादा भरा रहा। राजस्थानी, पंजाबी और साउथ इंडियन डिश के साथ नॉन वेज डिशेश का भी लोगों ने खूब स्वाद चखा। राजस्थानी पकवानों में दाल बाटी चूरमा, मूंग दाल पकौड़ा और राजस्थानी कचौड़ी का स्वाद वहीं पंजाबी छोले भटूरे, मुंबई की भेल पूरी व पाव भाजी के अलावा मशरूम टिक्का और वेज बिरयानी लोगों को काफी पसंद आई।

लोगों ने खूब ली सेल्फी

महोत्सव में लोग सेल्फी लेने के लिए आतुर नजर आये। फोक डांस कलाकार, फन जोन, विजय स्तंभ के पास, आईटीबी द्वारा लगे हथियारों की प्रदर्शनी के साथ अन्य कई जगहों पर लोगों ने सेल्फी लेकर अपने सोशल मीडिया पर अपटेड किया।

'दूसरा गांधी कहां से लाऊं' का मंचन

नाट्य समारोह में सोमवार को इनोवेशन थियेटर द्वारा दूसरा 'दूसरा गांधी कहां से लाऊं' का मंचन राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में किया गया। नाटक का निर्देशन अजय शर्मा ने किया है। जबकि नाटक का लेखन नेहा पांडेय ने किया। ये नाटक एक वृद्ध व्यक्ति पर आधारित है जो देश की आजादी में गांधी जी के साथ रहा और गांधी जी को अपना आदर्श मानता है। वही दूसरी ओर उसका परिवार जो आज के परिवेश का है जिसके लिए आजादी का मतलब सिर्फ मौजमस्ती है। आजादी में कितने लोगों का बलिदान हुआ लेकिन, आज के आजाद लोग उनके बलिदानों को नहीं समझते हैं, देश के सुंदर भविष्य को न सोचकर सिर्फ अपने बारे में सोचना आज के युवाओं की सोच हो गयी है। वृद्ध व्यक्ति अपने बेटे को भी अपने जैसा बनाना चाहता है पर उसका बेटा आज के माहौल में खुश रहना पसंद करता है, लेकिन नाटक के अंत में एक ऐसा मोड़ आता है जब बेटा अपने पिता को यह विश्वास दिला देता है कि मैं गांधी जी को वापस तो नहीं ला सकता हूं पर, मैं दूसरा गांधी तो ला सकता हूं मैं बनाऊंगा वो भारत जिसकी कल्पना गांधी जी ने की थी। मंच पर रवि शुक्ला, संजय त्रिपाठी, प्रियंका सिंह, हेमा भट्ट, बेबी भुवी, सुधांशु सावंत, मनोज वर्मा ने अपने किरदार को बखूबी निभाया।