-पहले अग्निकांड में और अब ट्रेन एक्सीडेंट में बची लकी की जान

-अग्निकांड में पिता, भाई-बहन की हो चुकी है मौत, अब मां ने गवां दिए पैर

BAREILLY: 2 वर्ष के इस बच्चे का नाम लकी है। पिछले 4 दिनों में उसके साथ जो कुछ बीता है उससे इस लकी को लकी भी कहा जा सकता है और अनलकी भी। सैटरडे को इसके घर में आग लग गई। पिता, भाई और बहन झुलसकर मारे गए और मां भी झुलस गई लेकिन यह बच गया। मंडे सुबह यह लकी कुदेशिया फाटक पर पटरियों के किनारे अपनी मां के साथ पड़ा मिला। मां के पैरों से ट्रेन गुजर चुकी थी दोनों पैर कट गए हैं लेकिन इस बार भी लकी बच गया, उसके पैर में मामूली खरोंच आई है। अब उसके दादा और चाचा उसे अपना बता रहे हैं लेकिन यही लोग उसकी मां को उसके पिता, भाई और बहन का हत्यारोपी बता रहे हैं। ऐसे में सभी के जहन में एक ही सवाल आ रहा है कि लकी को लकी कहा जाए या फिर सबसे बड़ा अनलकी आइए बताते हैं कि क्या ही लकी की इस दर्द भरी जिंदगी की कहानी---

हॉस्पिटल से हो गइर् थी गायब

बता दें कि 4 मई को भोजीपुरा के लखमपुर गांव में राजाराम के घर में आग लग गई थी। इस आग में राजाराम, उसके 12 वर्षीय बेटे नितिन और 6 वर्षीय बेटी चांदनी की झुलसने से मौत हो गई थी। अग्निकांड में राजाराम की पत्‌नी लक्ष्मी और उसका 2 वर्ष का बेटा लकी भी झुलस गए थे। दोनों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। 6 मई को शाम साढ़े 5 बजे लक्ष्मी, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से अपने बेटे के साथ गायब हो गई थी। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से ईएमओ शैलेश रंजन ने कोतवाली में इसका मैमो भिजवाया था। जिसके बाद से पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई थी।

डॉक्टर ने पहचाना महिला को

मंडे सुबह करीब 9 बजे अचानक एक महिला पीलीभीत से बरेली आ रही पैसेंजर ट्रेन के सामने आ गई और उसके दोनों पैर कट गए। उसकी गोद में 2 वर्ष का बच्चा था जो गोद से छिटककर पटरियों के किनारे पड़ा था। उसके भी हाथ व पैरों में चोट थी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों को 108 एंबुलेंस की मदद से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भिजवाया। यहां पर इमरजेंसी में एक बार फिर से ईएमओ शैलेश रंजन थे। उन्होंने तुरंत महिला को पहचान लिया, कि यह वही महिला है जो हॉस्पिटल से भाग गई थी। महिला के देवर और ससुर को भी हादसे का पता चला तो वह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंच गए।

न चल रही थी पल्स अौर न बीपी

डॉक्टर शैलेश रंजन ने बताया कि जब महिला हॉस्पिटल पहुंची तो उसकी न तो पल्स चल रही थी और न ही बीपी। जिसके बाद तुरंत आर्थोपैडिक सर्जन को सूचना दी गई। उसकी दाहिनी टांग घुटने से 8 इंच और बांयी टांग घुटने से 10 इंच नीचे से कटी थी। उसके बाद उसे एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया तो करीब एक घंटे बाद उसकी पल्स आयी। उसके बाद उसे ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया, जहां उसके दोनों कटी टांगों को अलग किया गया। दोपहर बाद तक महिला को होश नहीं आया था। वहीं उसके बच्चे को चाचा और दादा प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने की बात कहकर अपने साथ लेकर चले गए।

 

फैक्ट

- 4 मई को राजाराम के लखमपुर घर में लगी आग

-आग में राजाराम, बेटा और बेटी की हुई मौत

-आग में पत्‌नी लक्ष्मी और बेटे लकी की बची जान

-6 मई को लक्ष्मी हॉस्पिटल से बेटे के साथ हुई गायब

-7 मई को कुदेशिया फाटक पर लक्ष्मी के ट्रेन से कटे पैर

-ट्रेन हादसे में लकी की बची जान

-राजाराम के परिवार को 12 लाख की मदद की घोषणा

-लक्ष्मी पर लगा है अग्निकांड का आरोप