KANPUR:
फेफड़े खराब करने के लिए पॉल्यूशन कम था क्या जो शौकिया धुआं उड़ाने लगे। फेफड़े छलनी कर रहा है ये शौकिया धुआं। सिगरेट हो या हुक्का इससे निकलने वाला धुआं यंगस्टर्स की जिंदगी बर्बाद कर रहा है। शौकिया के बाद इसकी लत लगी तो लंग क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव प्लमोनरी डिसीज (सीओपीडी) का शिकार होने लगे। वर्ल्ड सीओपीडी डे जोकि हर साल नवंबर के तीसरे हफ्ते में मनाया जाता है। साल दर साल यह दिन जरूरी हो रहा है क्योंकि इस मौके पर डॉक्टर्स सीओपीडी को लेकर नई जानकारियां सामने लाते हैं। मेडिकल कॉलेज के टीबी चेस्ट विभाग के हेड प्रो.सुधीर चौधरी के मुताबिक यंगस्टर्स को स्मोकिंग के प्रति सजग रहना होगा। हुक्का बार, ई सिगरेट के कल्चर में भी निकोटिन फेफड़ों में पहुंच रहा है। इसके अलावा डाई एसिटाइल नाम के केमिकल का यूज भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है। इससे लंग्स में सूजन आती है। प्रो। चौधरी के मुताबिक स्मोकिंग के अलावा पॉल्यूशन अभी भी इसकी मुख्य वजहों में शुमार है। आईआईटी की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक शहर से हर रोज 153 टन पॉल्यूशन कानपुराइट्स के फेफड़ों को छलनी कर रहा है।
फैक्ट शीट-
- 2013 से अब तक कानपुर में रेस्पेरेटरी प्रॉब्लम के शिकार मरीजों की तादात तीन गुनी बढ़ी
- हर महीने 500 नए सीओपीडी के पेशेंट्स आ रहे एमएल चेस्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में
- ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के मुताबिक पॉल्यूशन से होने वाली ऑब्सट्रेक्टिव लंग डिसीज के मामले में यूपी विश्व में दूसरे स्थान पर है। इसमें कानपुर का बड़ा हाथ है।
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जान पर भारी सीओपीडी
- यह सांस लेने वाली नलियों में होने वाली बीमारी है
- सिगरेट जिसमें निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे तत्व होते हैं वह इन नलियों और लंग्स पर सीधा प्रभाव डालते हैं।
- यंगस्टर्स में स्मोकिंग की आदत के चलते फेफड़े जल्दी डैमेज हो जाते हैं।
- फेफड़े डैमेज होने से सांस लेने में दिक्कत के अलावा खून की कमी, मसल्स व हड्डियों की कमजोरी की भी समस्या आती है।
- इस वजह से आपकी डेली वर्किंग पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही हार्ट के लिए भी एक खतरा तैयार हो जाता है।
- इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है,लेकिन ये पूरी तरह से ठीक नहीं होती।
सीओपीडी के कारण
पॉल्यूशन, स्मोकिंग, वाहनों से निकलने वाला धुआं, धूल
- इंडस्ट्रीयल एरिया में होने वाला प्रदूषण
- एक्सरसाइज नहीं करना, खाने में न्यूट्रीशन की कमी
- लगातार खांसी आना,बलगम निकलना
कैसे बचेंगे-
- सर्दियों में धूप में टहलने के लिए निकले
- स्मोकिंग से परहेज करे, पैसिव स्मोकिंग से भी बचे
- एयर पॉल्यूशन से बचे बाहर निकले तो मुंह पर कपड़ा या मास्क लगाए
- डेली लाइफ को बदले, एक्सरसाइज और योग को दिनचर्या में शामिल करे
-खाने में तरल पदार्थो को शामिल करें, दवाओं का नियमित सेवन
- जहां ज्यादा पॉल्यूशन हो वहां जाने से बचे,भीड़भाड़ वाली जगहों पर क्रॉस इंफेक्शन का खतरा रहता है ऐसे में बचाव करे
- खंासी 5 दिन से ज्यादा हो तो प्रॉब्लम होने पर खुद दवा लेने की बजाय डॉक्टर की सलाह ले
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पॉल्यूशन की स्थिति समझिए-
सीपीसीबी के एयरक्वालिटी इंडेक्स में कानपुर में पीएम2.5 की स्थिति
23 नवंबर- 321
22नवंबर-336
21नवंबर-388
20नवंबर-360
19नवंबर-344
18नवंबर-373
(पीएए×2.5 का मानक स्तर 60माइक्रोग्राम प्रतिघनमीटर है। 300 माइक्रोग्राम से ज्यादा पॉल्यूशन होने पर स्थिति बेहद घातक मानी जाती है.)
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आईआईटी का डाटा-
विकास नगर, नौबस्ता, चकेरी, स्वरूप नगर और सिविल लाइंस से लिए गए सैंपलों के आधार पर प्रतिदिन इतने किलो पॉल्यूशन का उत्सर्जन-
सड़क पर धूल- 136193.9 किलो
वाहनों का धुआं-5520.8 किलो
इंडस्ट्री-4309.9 किलो
कूड़ा जलाना-2111.9 किलो
कंस्ट्रक्शन- 398 किलो
होटल रेस्टोरेंट- 736.5 किलो
दाह संस्कार से-39 किलो
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यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की दिवाली (7 नवम्बर की रात रेंडम सैंपलिंग में पॉल्यूशन
आवासीय जगह- आवास विकास
पीएम-10-805.86
संवेदनशील जगह- मरियमपुर
पीएम-10- 994.8
व्यावसायिक जगह- जरीब चौकी
पीएम-10- 1172.66
(पीए-10 का मानक स्तर 100माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है)