- 24 अधिकारी विभागीय खर्चे से भर रहे थे लग्जरी प्राइवेट वाहनों से फर्राटा

- पीसीसीएफ ने छुड़वाया अफसरों का लग्जरी वाहनों का मोह

- खुद सीएम के वाहन से महंगे वाहन में सवारी कर रहे पीसीसीएफ

DEHRADUN: वन विभाग के मुखिया ने अपने मातहतों द्वारा उपयोग किए जा रहे लग्जरी निजी वाहनों को बाहर करवा दिया है। पहले इन वाहनों का खर्चा विभागीय मद से उठाया जा रहा था, लेकिन पीसीसीएफ के निर्देश के बाद अब वे सरकारी वाहनों से चलने लगे हैं। लेकिन, खुद पीसीसीएफ लग्जरी वाहन का मोह नहीं छोड़ पा रहे। वे सीएम की गाड़ी से महंगे वाहन में सफर कर रहे हैं।

हर महीने 7.68 लाख की बचत

वन विभाग में डीएफओ और अन्य स्तर के 24 अधिकारी पिछले कई सालों से प्राइवेट लग्जरी गाडि़यों पर चल रहे थे। इन गाडि़यों का वन विभाग हर महीने करीब 6 लाख रुपए भुगतान कर रहा था। इन सभी गाडि़यों पर ड्राइवर भी प्राइवेट रखे गये थे। ड्राइवरों की सैलरी के रूप में विभाग के खाते से हर महीने 1.68 लाख रुपए का भी भुगतान हो रहा था।

आईनेक्स्ट ने प्रकाशित की थी खबर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने वन विभाग में अफसरों द्वारा लग्जरी प्राइवेट गाडि़यों के उपयोग और उन पर हो रहे सरकारी खर्च को लेकर खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद विभागीय चालक संघ ने भी ये मुद्दा वन विभाग के उच्चाधिकारियों के समक्ष उठाया था।

पीसीसीएफ ने दिये थे निर्देश

पीसीसीएफ जयराज ने पद ग्रहण करने के तुरन्त बाद विभाग के कर्मचारी संघों की एक संयुक्त बैठक बुलाई थी। इस बैठक में चालक संघ ने अधिकारियों द्वारा प्राइवेट गाडि़यां विभाग के खर्च पर इस्तेमाल करने की शिकायत की थी। पीसीसीएफ ने 28 फरवरी के बाद किसी भी प्राइवेट गाड़ी का किराया और प्राइवेट ड्राइवर की सैलरी विभाग से न देने के निर्देश जारी किए थे।

चालक संघ ने जताया आभार

विभागीय अधिकारियों से प्राइवेट गाडि़यां हटवाये जाने का उत्तराखंड चालक संघ वन विभाग ने पीसीसीएफ का आभार जताया है। संघ के महामंत्री रवि जोशी ने कहा कि प्राइवेट गाडि़यों के कारण विभाग को आर्थिक नुकसान हो रहा है। हम लगातार इन गाडि़यों को हटाने की मांग कर रहे थे।

अनौपचारिक रूप से मैं कह सकता हूं कि इस तरह की गाडि़यां हटा दी गई हैं, लेकिन ऑफिशियली नहीं कह सकता, अभी कुछ स्टेशंस से फाइनल रिपोर्ट आनी बाकी है। मैंने सभी अधिकारियों को रिपोर्ट देने का कहा है।

-जयराज, पीसीसीएफ, उत्तराखंड।