ये 'मां रहीं विनर
संध्या अग्रवाल की एंट्री सभी में बेस्ट पाई गई। उनकी मां ने उनको लाइफ के मुश्किल दौर से निकालने में काफी मदद की थी। संध्या के मुताबिक, उनकी मां ने उन्हें मानो एक नहीं बल्कि दो बार जन्म दिया था। उनकी मदर लक्ष्मी देवी ने बताया कि उन्होंने संध्या को भगवान से मांगा था। तीन भाइयों में संध्या अकेली सिस्टर हैं। अपनी मदर के नाम संध्या कई कविताएं भी लिख चुकी हैं। आई नेक्स्ट की टीम के साथ उन्होंने अपनी मदर के साथ घर पर केक काटा और उनको आई नेक्स्ट की ओर से गिफ्ट दिया गया। उन्होंने मदर्स डे को यादगार बनाने के लिए आई नेक्स्ट का थैंक्स बोला।
'मां का त्याग रहेगा याद
ऋचा की मदर सरिता गुप्ता ने उनको बेहतर एजूकेशन देने के लिए कई कम्प्रोमाइज किए। उनकी एंट्री को सेकेंड पोजीशन मिली है। जब उनके फादर ने उनका एडमिट कार्ड देने के लिए उनकी नानी की आखिरी निशानी उनके कंगन मांगे तो मां ने बेटी को पढ़ाने के लिए ये कुर्बानी भी दे दी। उन्होंने ये कंगन अपने पति को सौंप दिए। अपनी मां सरिता गुप्ता की बदौलत ही ऋचा आज किसी मुकाम पर हैं। बेहतर एजूकेशन मिलने के बाद वह जॉब कर रही हैं। अपनी मां के इस त्याग को याद कर ऋचा की आंखें आज भी नम हो जाती हैं।
मैरिज के बाद पता चली अहमियत
मदर्स डे एक्टिविटी की थर्ड विनर रहीं मिसेज मधु गुप्ता। उन्होंने बताया कि शादी के बाद उनको मां की अहमियत का पता चला था। उनकी मां साधना गुप्ता उनको अपने बेटे से भी कई गुना ज्यादा प्यार करती हैं। वह अपनी मॉम को सुपर मॉम मानती हैं और आज भी कोई भी डिसीजन लेने से पहले उनसे डिस्कशन जरूर करती हैं। उनके मुताबिक 'मांÓ शब्द में पूरा संसार समाया हुआ है और एक मां ही होती है, जो हर दर्द सहकर अपने बच्चों को खुशी देती है।

'मां की बदौलत जिंदा हूं
कौन कहता है कि मां हमें एक बार जन्म देती है, बल्कि मां हमें हर उस पल दोबारा जन्म देती है, जब हम अपनी जिंदगी के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे होते हैं। यूं तो जीवन का नाम ही संघर्ष है। कुछ थपेड़े ऐसे होते हैं, जब लगता है कि जीवन का कोई मूल्य ही नहीं रहा। ऐसा ही कुछ वाकया मेरे साथ भी हुआ। एक संपन्न परिवार में शादी हुई, लेकिन अचानक कुछ परिस्थितियां ऐसी आईं कि सब कुछ बिक गया। तब वो मेरी मां ही थी, जिन्होंने जीवन का मूल्य समझाया। कहा कि जीवन बहुमूल्य है। जान है तो जहान है। सब कुछ दोबारा से आ जाएगा, पर अपनी जान से खिलवाड़ मत करना। उस पल मेरी मां ने बहुत सहारा दिया तन-मन-धन से। आज उन्हीं की बदौलत जिंदा भी हूं और संपन्न भी।