एनकांउटर का हुआ था विरोध

2010 में हुए इस एनकाउंटर के बाद सेना ने दावा किया था कि नियंत्रण रेखा के पास माछिल सेक्टर में तीन आतंकियों को मार दिया गया है. बाद में सेना ने बयान दिया कि मारे गए पाकिस्तानी आतंकी थे. लेकिन जांच किए जानें पर पाया गया कि वे सभी बारामूला जिले के नदीहाल इलाके के रहने वाले थे और उनकी पहचान मोहम्मद शाफी, शहजाद अहमद और रियाज अहमद के रूप में की गई. उन्हें कथित तौर पर सीमा इलाके में ले जाकर गोली मारी गई. मृतकों के रिश्तेदारों की ओर से की गई शिकायत के बाद पुलिस ने प्रादेशिक सेना के एक जवान और दो अन्य को गिरफ्तार किया था. वहीं कश्मीर घाटी में इस एनकांउटर के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए थे. घटना को लेकर जगह जगह में प्रदर्शन आदि शुरू हो गए. इसका असर ऐसा फैला कि पूरी कश्मीर घाटी में अशांति का माहौल बन गया और कई लोग मारे गए थे.

सैन्य कोर्ट ने सुनाई सजा

दोषियों पर ये फैसला सैन्य कोर्ट की तरफ से दिया गया है. कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया जनवरी 2014 में शुरू हुई और सितंबर में खत्म हुई. जनरल कोर्ट मार्शल में 4 राजपूत रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल डीके पठानिया, कैप्टन उपेंद्र सिंह, सूबेदार सतबीर सिंह, हवलदार बीर सिंह, सिपाही चंद्रभान, सिपाही नागेंद्र सिंह और सिपाही नरेंद्र सिंह को हत्या का दोषी पाया गया है. सभी दोषियों को नौकरी से मिलने वाले लाभ से भी वंचित कर दिया गया है.

इस तरह हुआ था एनकांउटर

अप्रैल 2010 को सेना ने दावा किया था कि उसने माछिल सेक्टर में तीन घुसपैठियों को मार गिराया गया है. बाद में सेना ने कहा कि ये सभी पाकिस्तानी आतंकवादी थे, लेकिन शिकायतों के बाद सेना ने घटना की जांच की, जिसमें स्थानीय पुलिस और सेना के जवानों को सेना के न्याय विभाग ने बुलाकर पूछताछ की. आरोपों के मुताबिक, आरोपी सैनिकों ने तीनों युवकों को सोपोर से नौकरी देने के नाम पर किडनैप करने के बाद उन्हें कुपवाड़ा में ऊंची पहाड़ियों पर ले जाकर उन्हें मार दिया था और एनकांउटर का दावा किया था.

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