RANCHI: रिम्स में व्यवस्था सुधरने के बजाय दिनों-दिन खराब होती जा रही है। स्थिति यह है कि छोटी-छोटी चीजें भी हॉस्पिटल में अवेलेबल नहीं है। वहीं जरूरी मशीनें भी खराब हो चुकी है। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आंखों का पावर चेक करने वाली मशीन पिछले तीन महीने से खराब पड़ी है। जिससे कि डॉक्टरों के लिए मरीजों के आंखों का पावर चेक करना बड़ी चुनौती बन गई है। इसे लेकर डिपार्टमेंट की ओर से प्रबंधन को कंप्लेन भी की गई। लेकिन आजतक न तो मशीने बनवाई गई और न नहीं नया मशीन ऑर्डर किया गया। ऐसे में रिम्स को एम्स की तर्ज पर हॉस्पिटल बनाने का सपना सपना ही रह जाएगा।

उधार की मशीन से चेक कर रहे पावर

आंखों में प्रॉब्लम आने पर मरीजों को ऑपरेशन की सलाह दी जाती है। वहीं ग्लूकोमा के आपरेशन के बाद आंख का पावर चेक किया जाता है। इसके बाद उन्हें पावर के हिसाब से चश्मा दिया जाता है। एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मशीन नहीं होने की वजह से काफी परेशानी हो रही है। हमलोग अपने मित्र डॉक्टरों से मशीन उधार लेकर मरीजों के आंखों का पावर चेक कर रहे है। इस चक्कर में काफी समय भी बर्बाद हो रहा है। वहीं मशीन लौटाने की टेंशन रहती है सो अलग। जब रिम्स प्रबंधन एक मशीन नहीं दुरुस्त करा सकता तो पूरा सेपरेट विभाग कैसे चलाएगा।