- आरयू में इंटरनेशनल कांफ्रेंस के दौरान आरयू के प्रोफेसर विनय ऋषिवाल ने बताया कि चीन के क्लासरूम में हो रहे बदलाव पर डाला प्रकाश

- आने वाले समय में मशीनें वैसा ही व्यवहार करेंगी, जैसे हम उन्हें प्रशिक्षित करेंगे : प्रो प्रिहोंडाको

bareilly@inext.co.inBAREILLY: चीन के स्कूलों में कैमरे लगाए जा रहे हैं. डीप लर्निग तकनीक के जरिये ये कैमरे छात्रों के हाव-भाव की तस्वीर लेंगे. मशीनें डीप लर्निग से इनका अध्ययन करेंगी. वह बताएंगी कि क्लास में छात्र का मन क्यों नहीं लग रहा. जब शिक्षक पढ़ा रहे थे, तो छात्र क्या सोच रहा था. लेक्चर उनकी समझ में आया की नहीं. भविष्य में ऐसी ही मशीनें शिक्षण संस्थानों में नजर आएंगी. हालांकि अभी भारत डाटा स्टोर, इंटरनेट स्पीड और बिजली की निर्बाध आपूर्ति के मामलें में काफी पीछे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों से डाटा अध्ययन के लिए भेजने में इंटरनेट स्पीड आड़े आती है. ट्यूजडे को आरयू में इंटरनेशनल कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आरयू के इंजीनिय¨रग विभाग में एसोसिएट प्रो. विनय ऋषिवाल ने ये बातें कहीं.

एआई कर रहा अध्ययन

कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए इंडोनेशिया की गुनाडरमा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर प्रिहोंडाको ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) इंसानी व्यवहार का तेजी से अध्ययन कर रहा है. इसमें इंटरनेट या हमारी गतिविधियों के डाटा की भूमिका अहम है. जितना अधिक डाटा इकट्ठा होगा, मशीनें उतनी ही काबिल होती जाएंगी. एआई के सामने फर्जी डाटा से पार पाने की बड़ी चुनौती भी है. इससे डीप लर्निग यानी गहनता से सीखकर ही पार पाया जा सकता है. मसलन भविष्य में फर्जी तस्वीर, वीडियो, टेक्स्ट के बारे में मशीन को प्रशिक्षित कर दिया जाएगा. जब कोई ऐसा कंटेंट डालेगा तो मशीन उसे चिह्नित कर लेगी. प्रो. प्रिहोंडाको के मुताबिक आने वाले समय में मशीनें वैसा ही व्यवहार करेंगी, जैसे हम उन्हें प्रशिक्षित करेंगे. इंटरनेट पर हमने बिल्ली की पहचान की जो जानकारी दी हैं, मशीन उसी डाटा से पहचान कर बिल्ली का किरदार यानी चित्र पेश करेगी. आज जो फेक न्यूज, वीडियो, फोटो वायरल हो रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए 'डीप लर्निग' की तकनीक के विस्तार की जरूरत है.

अप्रशिक्षित लोगों के लिए चुनौती

एआई में प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार की भरमार है, मगर अप्रशिक्षित यानी मजदूर वर्ग के रोजगार का उतना ही संकट भी नजर आ रहा है. अप्रशिक्षित वर्ग का सारा काम रोबोट, मशीनें करने लगेंगी. भविष्य के लिए शिक्षा-प्रशिक्षण बेहद जरूरी है. तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआइपी) की ओर आयोजित कांफ्रेंस में अकादमिक रिसर्च इन इंजीनिय¨रग, मैनेजमेंट, एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी पर प्रोफेसरों ने अपना नजरिया रखा. टीईक्यूआइपी के समन्वयक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि तीन दिवसीय कांफ्रेंस में हर विषय पर मंथन होगा. डॉ. विनय ऋषिवाल कहते हैं कि सरकार शोधार्थी, वैज्ञानिकों के साथ मिलकर भविष्य का प्लान बनाए तो बेहतर नतीजे आएंगे.

ये रहे मौजूद

कांफ्रेंस का शुभारंभ प्रो. एसके पांडेय ने किया. विशिष्ठ अतिथि बीएमएस कॉलेज बैंगलुरू के प्रो. गौरी शंकर, प्रो. केवी आर्य, समन्वयक डॉ. मनोज कुमार, डॉ. विनय ऋषिवाल, डॉ. डीडी शर्मा आदि मौजूद रहे.

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