स्काइप पर सुनाया फैसला
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरई पीठ के जस्टिस एस. वैद्यनाथन ने प्रशासनिक जज वी. रामसुब्रमण्यम के आग्रह पर शनिवार को स्काइप पर केस की अर्जेट सुनवाई की। चूंकि याचिका एनवक्त पर दायर की गई थी तथा दीपावली पर कोर्ट की एक सप्ताह की छुट्टी के कारण कोई जज शहर में नहीं था, इसलिए प्रशासनिक जज ने यह आग्रह किया था। जस्टिस वैद्यनाथन चेन्नई में अपने घर पर थे। केस सुनने के बाद उन्होंने पुलिस को आदेश दिया कि वह विवाह समारोह के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराएं।

स्कैन कर भेजा मेल

जज ने संबंधित पक्ष को आदिकला मठ चर्च से बाहर बारात निकालने की इजाजत नहीं दी। स्कैन कर मेल से भेजे दस्तावेज सुनवाई से पहले जज के पास दस्तावेज स्कैन करने के बाद ई-मेल से भेजे गए। इसके शनिवार रात 8 बजे जज के आदेश की सर्टिफाइड कॉपी भी पुलिस को भेजी गई। पुलिस का था ढुलमुल रवैया याचिकाकर्ता के वकील एम. जीसू ने बताया कि पुलिस ने सुरक्षा उपलब्ध कराने में ढीला रवैया बरता था, इसलिए अर्जेट याचिका दायर करनी प़डी। याचिकाकर्ता व चर्च के पदाधिकारियों के बीच विवाद है।

कोर्ट के आदेश पर शादी
इस कारण चर्च वहां विवाह की इजाजत नहीं दे रहा था। कोर्ट के आदेश पर वहीं शादी हुई। क्या है स्काइप यह एक एप्लिकेशन है जो वीडियो चैट,वॉइस कॉल, कांफ्रेंस कॉल की सुविधा देता है। इसके जरिए टैक्सट, वीडियो मैसेज, फाइल और फोटो का आदान-प्रदान भी किया जा सकता है। अक्टूबर माह में कोच्चि (केरल) की एक फैमिली कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए तलाक की मंजूरी दे दी थी। कोर्ट ने बिस्तर पर प़़डे बीमार पति का दिल्ली से वीसी के जरिए पक्ष सुना। पति अपनी पत्नी को 2.7 करोड़ रुपए गुजारा भत्ता देने को तैयार हो गया था।

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