- हर गुट में गुर्गे तैनात कर एक तीर से कई निशाने साधे माफिया विनोद उपाध्याय ने

GORAKHPUR: मुंबई के अंडरव‌र्ल्ड की तर्ज पर माफिया विनोद उपाध्याय राज करना करना चाहता है। इसके लिए उसने अपने गुर्गो को हर गुट में सेट किया। एक तीर से कई निशाने साधे। पुलिस भी संभावित माफिया-राज को न पनपने देने के लिए आर-पार के मूड में आ गई है। एसएसपी ने बताया कि माफिया विनोद के खिलाफ 25 हजार का ईनाम घोषित कर दिया गया है। गिरफ्तारी न हो पाई तो उसकी प्रॉपर्टी कुर्क की जाएगी। इसके लिए नोटिस चस्पा कर पुलिस अगली कार्रवाई में जुटी है।

गेम से बचता रहा माफिया

पुलिस रिकॉर्ड में यूं तो माफिया के रूप में प्रदीप सिंह, सुधीर सिंह, अजीत शाही, विनोद उपाध्याय और चंदन सिंह का नाम शामिल है लेकिन अपने शातिर दिमाग से विनोद उपाध्याय हर गुट में अपने गुर्गे शामिल कर अपने दुश्मनों का सफाया करने में माहिर माना जाता है। कुछ दिन पूर्व जेल से छूटे प्रदीप सिंह, सुधीर सिंह को अरेस्ट करके पुलिस जेल भेज चुकी है। पुलिस की कार्रवाई देखकर अजीत शाही ने झारखंड की राह पकड़ ली है। आपराधिक माफिया चंदन सिंह बदायूं जेल में बंद हैं। इन सबके बीच साइलेंट रहकर विनोद उपाध्याय ने अपनी धमक बढ़ाई। अंडरव‌र्ल्ड की तर्ज पर दुश्मनों को निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

एक तीर से कई साधे कई निशाने

पुलिस अधिकारियों का दावा है कि माफिया ने हर गुट में अपने गुर्गो की दखल कराई। एक ओर उसने अपने गुर्गो के जरिए वारदातों को अंजाम दिलाया तो दूसरी ओर पीडि़त पक्ष से मिलकर विरोधियों को जेल भेजने की साजिश रची। उसने विरोधियों को फर्जी मुकदमों में फंसवाया तो पीडि़तों से जुड़कर उनकी सहानुभूति भी बटोरी। पुलिस अधिकारियों ने संकेत दिया है कि माफिया के मददगार पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कराकर उनकी बर्खास्तगी के लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा।

---------

चले माफिया के तीर, दुश्मन हो गए ढेर

1. लाल बहादुर मर्डर कांड :

20 मई 2014 की रात करीब पौने बजे पिपरौली ब्लाक के पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख लाल बहादुर यादव लग्जरी गाड़ी से अपने तारामंडल आवास की ओर जा रहे थे। यूनिवर्सिटी गेट पर वाहन पहुंचा तभी दोनों से आए बाइक सवार बदमाशों ने उनकी कार पर ब्र‌र्स्ट फायरिंग झोंक दिया। हमले में लालबहादुर की मौत हो गई। शुरूआती जांच में पुलिस का शक चंदन सिंह गैंग पर गया। चार अगस्त को तत्कालीन एसएसपी आकाश कुलहरी ने विनोद उपाध्याय और उसके साथियों को अरेस्ट किया। इस मामले में 14 के खिलाफ चार्जशीट लगी थी। सहारनपुर के देवबंद जेल में बंद विनोद को फरवरी माह में जमानत मिल गई थी।

2. प्रॉपर्टी डीलर संजय यादव मर्डर:

खोराबार एरिया के कजाकपुर निवासी प्रापर्टी डीलर संजय यादव की हत्या बेलीपार में कर दी गई थी। इस मामले में संजय यादव का भाई दीपक यादव पैरवी कर रहा था। इस मामले में विनोद उपाध्याय के हस्तक्षेप की बात सामने आई है। पुलिस का दावा है कि विनोद उपाध्याय के इशारे पर दीपक यादव ने कई लोगों को फर्जी तरीके से फंसा दिया। विवेचक से मिलकर संजय यादव ने झूठा शपथ पत्र देते हुए कूटरचित साक्ष्यों के आधार पर विनोद उपाध्याय के विरोधी लाल बहादुर मर्डर के गवाह ब्रह्मदेव यादव, संजीव सिंह और विजय बहादुर को फंसा दिया। इस मामले में पुलिस ने दीपक यादव को अरेस्ट करके जेल भेज दिया।

3. जैतपुर बाजार का ट्रिपल मर्डर :

09 अगस्त 2012 को जैतपुर बाजार में हुए चर्चित तिहरे हत्याकांड में कमलाकांत मुख्य गवाह है। उसका गहरा जुड़ाव माफिया विनोद उपाध्याय संग रहा है। पुलिस का दावा है कि कमलाकांत को मदद देने के बदले में विनोद ने उससे कई काम लिए हैं। पुलिस की जांच में सामने आया कि भूमि और प्रापर्टी पर कब्जे को लेकर गहरी साजिश रची गई थी। गवाह के रूप में पुलिस की सहानुभूति बटोरने वाले कमलाकांत की भूमिका तिहरे हत्याकांड में संदिग्ध बताई जा रही है। उसके खिलाफ पुलिस सबूत जुटाने में लगी है। पुलिस का कहना है कि कमलाकांत को पार्टनर बनाकर विनोद उपाध्याय कई और निशाना साधना चाहता था। लेकिन इसके पहले कैंट पुलिस ने कमलाकांत को अरेस्ट करके पूरे खेल का पर्दाफाश कर दिया।

------------

वर्जन

माफिया विनोद उपाध्याय के खिलाफ कई सबूत कई मिले हैं। उसने हर गुट में अपने लोगों को सेट किया ताकि उसका काम आसानी से चलता रहे। शहर में अपराध को बढ़ावा देने, अपराधियों को संरक्षण देने वालों को कतई बख्शा नहीं जाएगा।

सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज,

एसएसपी