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BAREILLY: नाथों के नाथ भगवान शिव की नाथ नगरी में इस बार महाशिवरात्रि स्थान भेद से दो दिन 13-14 फरवरी को है। पर, महाशिवरात्रि का शास्त्रोचित पूजन महानिशीथकाल में 14 को होगा। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक धर्म शास्त्रों में निशीथ व्यापिनी कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाने का उल्लेख है। जिसमें लिखा है कि चर्तुदशी दो दिन निशीथ व्यापिनी है, तो दूसरे दिन शिवरात्रि व्रत संपन्न होगा। सूर्योदय काल व्यापिनी होने से 13 फरवरी की रात संयोग बनने के बाद भी महा शिवरात्रि 14 फरवरी को मनाई जाएगी और व्रत पारायण 15 को सूर्योदय के साथ किया जाएगा।
चार पहर में होगा पूजन
बाला जी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा के मुताबिक जागरण व पूजा के बिना महाशिवरात्रि व्रत पूरा नहीं माना जाता। बरेली व आसपास के क्षेत्र में महाशिवरात्रि 14 फरवरी को मनाया जाना उचित रहेगा। क्योंकि चतुर्दशी तिथि उदय व्यापिनी होगी और बरेली में महानिशीथ काल रात 11.53 बजे से रात 12.45 बजे तक होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह में बाधा निवारण के लिए यह सर्वोत्तम संयोग है। बताया कि सीता जी ने भगवान राम को, रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को, माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को वर के रूप में प्राप्त करने के लिए भगवान शिव-गौरी की उपासना की थी।
पूजन विधि
महाशिवरात्रि के दिन स्नान के बाद पूजन सामग्री एकत्र कर भगवान शिव के मंदिर में या घर में पूर्व या उत्तरमुखी होकर आसन पर बैठें। सभी सामग्री समेत जल से पंचामृत तैयार करें। परिमल द्रव्य के लिए जल में कपूर, केसर, चंदन, दूध, और खस मिलाकर तैयार करें। पूजा के लिए प्रयुक्त होने वाले चावलों को केसर या चंदन से रंग लें। इसके बाद षोडशोपचार विधि से भगवान शिव का पूजन करें।
परायण विधि
रात में द्वादश लिंग व द्वादश कुंभों से मंडल बनाकर दीप माला से सुशोभित कर वेदमंत्रों से कलश स्थापना करें। षोडशोपचार विधि से शिव पूजन करें। पूजन के बाद 108 बेलपत्रों से हवन करें। फिर तिल, अक्षत, यव व अन्य वस्त्रों को लेकर हवन करें। हवन के अंत में शतरुद्री का जाप करें। संभव हो तो 15 फरवरी की सुबह 12 ब्राह्माणों को भोजन कराएं।
पदार्थो से बनाएं शिवलिंग से कार्यसिद्धि
शत्रु नाश - लहसुनिया
भय - दूर्वा
संतान प्राप्ति - बांस के अंकुर
सुख-समृद्धि - दही
रोग निवारण - मिश्री
कृषि उपादन - गुड़
विवाह बाधा - पीपल के नए पत्तों
दीर्घायु - कस्तूरी व चंदन
शिवपूजन से ग्रह शांति उपाय-
चन्द्र - दूध में काला तिल मिलाकर स्नान कराएं
सूर्य - आक पुष्प व बेल पत्र से पूजन करें
मंगल - गिलोय बूटी के रस से अभिषेक करें
बुध - विधारा जड़ी के रस से अभिषेक करें
गुरु - दूध में दही मिलकर अभिषेक करें
शुक्र - पंचामृत शहद व घी से अभिषेक करें
शनि - गन्ने के रस व छाछ से स्नान कराएं
शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि - (13 फरवरी) रात 10.35 से चतुर्दशी तिथि (14 फरवरी) रात 12.47 तक
महा निशीथकाल - (13 फरवरी) की रात 11.53 से 14 फरवरी की रात 12.45 तक
प्रथम पहर पूजा - (14 फरवरी) सुबह 5.55 से रात 9.09 बजे तक
द्वितीय पहर पूजा - (14 फरवरी) रात 9.09 से रात 12.24 बजे तक
तृतीय पहर पूजा - रात 12.24 से रात 3.39 बजे तक (15 फरवरी)
चतुर्थ पहर पूजा - (15 फरवरी) रात 3.39 से सुबह 6.54 तक
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