होली के बाद शुरू हुआ हंसी-ठिठोली का दौर

महालंठ सम्मेलन में कवियों ने सुनायीं एक से बढ़कर एक हास्य कविताएं

ALLAHABAD: दो दिनों तक रंगों की खुमारी डूबे शहरियों के लिए अब हंसी-ठिठोली का दौर शुरू हो गया है। इसी कड़ी में रविवार को प्रयाग मित्र मंडल की ओर से खालसा ग‌र्ल्स इंटर कालेज के बगल में महालंठ सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी व संस्था के संरक्षक अनिल कुमार अन्नू भइया ने दीप प्रज्जवलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। डांस गु्रप द्वारा फूलों की होली व रास की प्रस्तुति से समां बांधा। कवियों ने एक से बढ़कर एक हास्य कविताएं सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया।

देश चलता है, आप भी चलिए

डॉ। श्लेष गौतम ने 'डूब रहे उतरा रहे देवर भाभी संग, फागुन पर हावी रहा होली का हुड़दंग' से श्रोताओं को गुदगुदाया तो बिहार से आएं भूषण त्यागी ने 'देश चलता है आप भी चलिए, वोट देकर के हाथ मत मलिए। राष्ट्र को तल रहा हूं मैं हंसकर, आप ठेले पे पकौड़ा तलिए' ने पंक्तियों से समां बांधा। वाराणसी के धर्म प्रकाश मिश्रा ने 'कौन रहता है गिद्ध भारत से लुप्त हुए, पेड़ों की बजाए कुर्सियों में पाए जाते हैं। त्रेता वाला गिद्ध सीता माता हेतु जान दिया, कलयुग के गिद्ध सीमाओं को नोंच खाते हैं' पंक्तियां सुनाई।

सम्मेलन में नरकंकाल, अजय प्रेमी, कुमार विकास व कमल प्रतापगढ़ी ने भी हास्य पंक्तियों की प्रस्तुति से श्रोताओं को खूब हंसाया। संचालन संस्था के महामंत्री ऋषि केसरवानी का रहा। इस मौके पर अध्यक्ष राज मोहन पुरवार, सुमित केसरवानी, महेन्द्र गोयल आदि मौजूद रहे।

झंडा जो फहर जाए तो समझो बसंत है

भरद्वाजपुरम धर्म एवं मानस प्रचार संस्थान की ओर से अल्लापुर में साठ फीट रोड के सामने होली मिलन समारोह व हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि जस्टिस नीरज तिवारी ने दीप प्रज्जवलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। संस्थान के अध्यक्ष फूलचंद्र दुबे ने मुख्य अतिथि का माल्यार्पण कर स्वागत किया। उसके बाद शुरू हुआ हंसी-ठिठोली की महफिल। अशोक बेशरम ने 'झंडा जो फहर जाए तो समझो बसंत है, जब बाढ़ उतरि जाए तो समझो बसंत है। एक नेता जउन जीत कर कुछ काम ना करे, दुई दिन में गुजर जाए तो समझो बसंत है' पंक्तियां सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया। रामलोचन सांवरिया ने 'जोगी गाए जोगिया सारा रा रा, मोदी ठोकै मजीरा सारा रा रा' सुनाकर समां बांधा। अन्य कवियों में नजर इलाहाबादी, शैलेन्द्र मधुर व अजय प्रेमी ने भी सम्मेलन में चार चांद लगाया।