विद्वानों और धर्माचार्यो में मतभेद के कारण बुधवार को भी मनाया गया महापर्व

ALLAHABAD: इस बार जिले में महाशिवरात्रि का पर्व दो दिन मनाया गया। महाशिवरात्रि को लेकर धर्मशास्त्रियों व ज्योतिषाचार्यो के तर्क भिन्न होने की वजह से कुछ भक्तों ने मंगलवार तो कुछ ने बुधवार को व्रत रखा। जानकार कहते हैं कि यूं तो वर्ष भर में 12 शिवरात्रि आती है। लेकिन इन सभी में फाल्गुन माह की शिवरात्रि को महत्वपूर्ण माना गया है। मंगलवार को व्रत रखने वाले भक्तजन बुधवार की सुबह पारण किए। जबकि बुधवार को व्रत रखने वालों ने शाम को पारण किया।

इसलिए पैदा हुई भ्रम की स्थिति

ज्योतिषाचार्यो एवं धर्मशास्त्रियों में ज्यादातर ने 13 फरवरी को ही शिवरात्रि व्रत का निर्णय दिया था। लेकिन कुछ लोगों ने शास्त्रों का हवाला देते हुए 14 फरवरी को भी महाशिवरात्रि की घोषणा की। जैसी कि मान्यता है, फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि होती है। परन्तु, जिस दिन प्रदोष एवं निशीथ दोनों कालों में चतुर्दशी मिले उसी दिन महाशिवरात्रि मनाई जानी चाहिए। प्रदोष और निशीथ दोनों काल में एक साथ अनुपलब्धता होने की वजह से कुछ आचार्य प्रदोष व्यापिनी चतुर्दशी तो कुछ निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी में महाशिवरात्रि मानते हैं। लेकिन अधिक वचन निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी के पक्ष में प्राप्त होते हैं। हालांकि कुछ आचार्यो ने प्रदोष काल व्यापिनी को स्वीकार किया है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक इस वर्ष 13 फरवरी को केवल निशीथ तो 14 फरवरी को केवल प्रदोष काल में चतुर्दशी मिल रही थी।

निशीथ काल से पहले ही खत्म हुई चतुर्दशी तिथि

13 फरवरी को चतुर्दशी का आरम्भ ऋषिकेश पंचांग में रात्रि 10:22 बजे हो रहा था तथा इसकी समाप्ति 14 फरवरी को रात्रि 12:17 बजे पर हुई। वहीं विश्व पंचांग में इसका आरम्भ 13 फरवरी को 10:05 बजे और समाप्ति 14 को 12:02 बजे हुयी। अन्य पंचांगों में भी चतुर्दशी का लगभग यही काल रहा। धर्मशास्त्रीय वचन के अनुसार चतुर्दशी 13 फरवरी को निशीथ काल एवं 14 फरवरी को प्रदोष काल में प्राप्त हुयी। ज्योतिषाचार्यो की मानें तो इस वर्ष 13 फरवरी को निशीथकाल 11:34:30 बजे से 12:26 बजे तक तथा 14 फरवरी 11:35:38 बजे से 12:27:02 बजे तक तथा प्रमाणांतर दोनों दिवसों में रात्रि 11 बजे से 01 बजे तक रहा। 14 फरवरी को पूर्ण निशीथ काल रात्रि 11:35:38 बजे से 12:27:02 बजे तक के पूर्व ही ऋषिकेश पंचांग के अनुसार 12:17 बजे पर तथा विश्व पंचांग के अनुसार 12:02 बजे चतुर्दशी समाप्त हो जाने से पूर्ण निशीथ व्यापिनी नहीं मानी जा सकती। अत: स्पष्ट धर्मशास्त्रीय वचनानुसार 13 फरवरी को महाशिवरात्रि व्रतोत्सव मनाया गया।

धर्मशास्त्रों में प्रदोष एवं अर्ध रात्रि में व्याप्त चतुर्दशी को ज्यादा महत्व दिया गया है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत पर्व 13 एवं 14 दोनों दिन किया गया। क्योंकि दोनों के धर्मशास्त्रीय प्रमाण हैं।

-पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली, निदेशक उत्थान ज्योतिष संस्थान

पूर्ण निशीथ काल और प्रदोष के दिन चतुर्दशी तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हुई। पहले ऐसा नहीं होता था। कभी कभार ही ऐसा होता है। ऐसे में दो दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया गया।

-डॉ। देवनारायण पाठक, संस्कृत विभाग इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

इस दिन समस्त शिव भक्त व्रत रहकर भगवान शिव को जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, रुद्राभिषेक, जागरण इत्यादि करते हैं। ऐसे में हमने भी विभिन्न आयोजनों में प्रतिभाग किया।

-अनिल गुप्ता

इस दिन विधि-विधान से भगवान भोले नाथ की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में मनोकामनाएं पूर्ण हों। इसलिए हमने भी भगवान की अराधना के लिए मंदिर जाकर दर्शन किया।

-मंजुला

सबको धन, वैभव, सुख और संपन्नता प्राप्त हो। इसके लिए हमने व्रत रखा और खुद व परिजनों के लिए कामना की। इसके लिए अलग से समय निकालने का प्लान पहले ही बना लिया था।

-शुचिता

पूरे विधि-विधान से पूजा की, व्रत रखा और भगवान के चरणों में खुद को समर्पित किया। शिवालयों में भारी भीड़ देखने को मिली। फिर भी आराम से दर्शन कर पाए।

-आकाश