आइंस्टीन ने पत्र लिखकर बापू से मिलने की इच्छा भी जताई थी, लेकिन वह उनसे मिल नहीं पाए थे.

यरूशलम स्थित हिब्रू यूनिवर्सिटी के पास मौजूद एक डॉक्यूमेंट में आइंस्टीन ने लिखा है
‘‘ पॉलीटिकल हिस्ट्री में महात्मा गांधी के जीवन की एचीवमेंटस अद्भुत हैं. गांधी ने मुक्ति युद्ध के बिल्कुल अलग तौर तरीके की खोज की और उस पर पूरे विश्वास एवं समर्पण के साथ अमल किया.’’

जनरल रिलेविटी की थ्योरी के विकास के लिए जाने जाने वाले एल्बर्ट आइंस्टीन ने लिखा, ‘‘ सभ्यता पर उनके जीवन एवं नैतिक मूल्यों का प्रभाव समय के साथ बढ़ता जाएगा.’’ उन्होंने आगे लिखा है, ‘‘मेरे इस प्रकार कहने का मतलब  यह है कि जो पॉलीटिकल लीडर सामने आकर अपने नैतिक बल के आधार पर लोगों के सामने उदहारण प्रस्तुत करते हैं, समय उन्हें हमेशा याद रखता है.’’

आइंस्टीन ने लिखा, ‘‘ वक्त ने हमें ऐसा व्यक्तित्व दिया है जो आने वाली पीढिय़ों के लिए रोल मॉडल हैं.’’  दरअसल महात्मा गांधी और एल्बर्ट आंइस्टीन के चिट्ठियों का दौर चलता रहता था. बापू को लिखे लेटर में भी आइंस्टीन ने इसी प्रकार के विचार व्यक्त किए.

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