- दून का दूसरा मेजर बेटा आतंकियों से लोहा लेता हुआ शहीद

- मेजर विभूति ढौंडियाल ने दिया सर्वोच्च बलिदान

- शहीद मेजर चित्रेश सोमवार को सैन्य सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन

DEHRADUN: दून के एक और लाल ने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से लोहा लेते हुए दून निवासी मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर सोमवार देर शाम सेना के विशेष विमान से दून लाया गया और गढ़ी कैंट स्थित आर्मी हॉस्पिटल में रखवाया गया है। मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर नेशविला रोड स्थित उनके घर लाया जाएगा और यहां से शहीद की अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। वहीं, सोमवार को रजौरी के नौशेरा में एक्सप्लोसिव डिफ्यूज करते शहीद हुए मेजर चित्रेश को पूरे दून ने नम आंखों से विदाई दी, सैन्य सम्मान के साथ उनकी हरिद्वार में अंत्येष्टि की गई।

आंतकियों से लिया लोहा, दी शहादत
पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती आतंकी हमले में 42 जवान शहीद हो गए थे। इलाके में आतंकियों के छिपे होने के इनपुट आर्मी को मिले थे, इसके बाद आतंकियों को ढेर करने के लिए आर्मी ऑपरेशन शुरू किया गया था। इसी ऑपरेशन के दौरान रविवार देर रात 55 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात मेजर विभूति ढौंडियाल (34) आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए।

3 पीढि़यों ने की देश रक्षा
शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल के पिता स्व। ओमप्रकाश ढौंडियाल ने एयरफोर्स में देश के लिए सेवा की, जबकि दादा केशवानन्द ढौंडियाल भी एयरफोर्स में तैनात रहे। परिवार की तीसरी पीढ़ी में विभूति ढौंडियाल ने भी सर्वोच्च बलिदान देकर देश रक्षा का जज्बा बरकरार रखा और परिवार का गौरव हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों पर दर्ज कर दिया। वे 2012 में इंडियन आर्मी में बतौर अफसर तैनात हुए थे।

3 बहनों का इकलौता भाई था विभूति
शहीद मेजर विभूति का परिवार देहरादून के नेशविला रोड स्थित 36 डंगवाल मार्ग में रहता है। विभूति तीन बहनों का इकलौता भाई था। उसके परिवार में दादी, मां, पत्नी और एक अविवाहित बहन है। दो बहनों की शादी हो चुकी है, मां हार्ट पेशेंट है।

10 माह पहले ही हुई थी शादी
बीते वर्ष अप्रैल में ही मेजर विभूति की कश्मीरी पंडित परिवार की निकिता से शादी हुई थी। पत्नी निकिता एमबीए हैं और दिल्ली में जॉब करती हैं। विभूति दो माह पहले ही छुट्टी से ड्यूटी पर लौटा था। सोमवार को सुबह ही उनकी पत्नी ट्रेन से दिल्ली के लिए रवाना हुई थी। रास्ते में ही उन्हें पति की शहादत की खबर मिली, मां हार्ट पेशेंट है, इसलिए उन्हें बाद में सूचना दी गई।

सेंट जोजेफ से हुई थी स्कूलिंग
मेजर विभूति की स्कूलिंग सेंट जोजेफ से हुई थी। उनके दोस्त सदमे में हैं, बचपन का एक दोस्त मयंक खंडूड़ी बताते हैं कि वह काफी मिलनसार था। दोनों की स्कूलिंग साथ हुई। 1953 से उनका परिवार नेशविला रोड पर रह रहा है।