- पोटेंशिल, स्ट्रैटजी और एफर्ट के थ्रू मिलती है बोर्ड एग्जाम में सक्सेज

- साइकोलॉजिस्ट्स की मानें तो पेरेंट्स के दबाव से बिगड़ सकता है रिजल्ट्स

GORAKHPUR : साल भर जो बोया, जो मेहनत की, अब उसे परखने का वक्त एग्जाम के तौर पर आ चुका है। सालभर आपने क्या पढ़ा, क्या तैयारी की है? इसकी आजमाइश का वक्त आ गया है। इस दौरान की जाने वाली जरा सी भी लापरवाही न सिर्फ पूरे साल की मेहनत पर पानी फेर सकती है, बल्कि अपकी लाइफ को एक साल पीछे कर सकती है। इसलिए बेटर यही होगा कि एग्जाम के दौरान जो भी तैयारी की जाए, उसे मैनेज कर चलने की जरूरत है। यह जरूरी है कि पढ़ने, खाने-पीने और सोने का टाइमटेबल तय कर लिया जाए। इससे एक तरफ जहां प्रिपरेशन और भी बेहतर वे में हो सकेगा, वहीं दूसरी ओर हेल्थ रिलेटेड इशूज से बचा जा सकेगा।

पोटेंशिल, स्ट्रैटजी और एफर्ट के थ्रू मिलती है सक्सेज

डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ। धनंजय कुमार की मानें तो सक्सेज तीन चीजों पर डिपेंड करती है, पोटेंशिल, स्ट्रैटजी और एफर्ट। इसमें से अगर आपने किसी एक में भी कमी कर दी या फिर कुछ भी मिसिंग हुआ तो सक्सेज मिलना काफी मुश्किल है। डॉ। धनंजय की मानें तो सक्सेज के लिए वन थर्ड पोटेंशिल, वन थर्ड स्ट्रैटजी और वन थर्ड एफर्ट की जरूरत पड़ती है, इन तीनों चीज पर ध्यान दिया जाए तो निश्चित तौर पर सक्सेज मिलेगी। वह इसलिए कि अगर पोटेंशियल नहीं है तो स्ट्रैटजी और एफर्ट का कोई फायदा नहीं मिलेगा। वहीं अगर एफर्ट में कमी आई तो पोटेंशियल और स्ट्रैटजी का कोई फायदा नहीं। इसके साथ ही अगर पोटेंशियल यूज करें और स्ट्रैटजी भी बना लें, लेकिन एफर्टलेस हो जाए तो भी सक्सेज मिलना मुश्किल है।

स्ट्रेस को करें दरकिनार

डॉ। धनंजय की मानें तो स्टूडेंट्स को एग्जाम के लिए स्ट्रेस लेने के बजाए ईजी वे में लेने की जरूरत है। स्ट्रैटजी के साथ ही प्लानिंग करें। अगर कोई तैयारी प्लांड वे में न की जाए तो मेहनत बर्बाद हो जाएगी। बोर्ड एग्जाम की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को सही मायने में अगर सक्सेज हासिल करनी है तो उनको अपनी रिजल्ट की एक्सपेक्टेशन मॉडरेट लेवल की रखनी होगी। इसके साथ ही जो सब्जेक्ट वीक हो उसको ज्यादा वक्त और जिसपर थोड़ी पकड़ हो तो उसे उसी के अकॉर्डिग वक्त दें।

बच्चों को प्रेशराइज न करें पेरेंट्स

एग्जाम अभी स्टार्ट हुए नहीं कि पेरेंट्स अपनी डिमांड बच्चों के सामने रख देते हैं कि मुझे ऐसा रिजल्ट चाहिए। ऐसा अक्सर देखने को मिलता है। पेरेंट्स की यह डिमांड अनरियलिस्टिक एक्पेक्टेशन की कैटेगरी में आती है, इसमें पेरेंट्स बच्चों के सिर पर यह थोप देते हैं कि एग्जाम में मुझे 70 परसेंट मा‌र्क्स चाहिए। जिसकी वजह से न सिर्फ बच्चा टेंशन में आता है बल्कि इस स्ट्रैस की वजह से वह अपने पोटेंशियल के अकॉर्डिग परफॉर्म नहीं कर पाता है। अगर पेरेंट्स अपने बच्चों का रिजल्ट बेहतर देखना चाहते हैं तो उनपर प्रेशर न डाले और न ही उनसे कोई एक्सपेक्टेशन रखें, जिससे कि वह अपनी पोटेंशियल के अकॉर्डिग परफॉर्म कर सके।

एग्जाम फोबिया से बचें

एग्जाम में स्टूडेंट्स स्ट्रैस और घबराहट का शिकार हो जाते हैं। उन्हें हमेशा इस बात का डर सताता है कि अभी उनका क्वेशचन या सब्जेक्ट पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है। उन्हें लगता है कि अगर थोड़ा वक्त और मिल गया होता तो उनकी तैयारी और बेटर हो जाती। इसको 'एग्जाम फोबिया' कहते हैं। इस फोबिया के हावी होने पर स्टूडेंट्स से एग्जामिनेशन हाल में कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिसका पछतावा बाद में होता है। इससे याद किए आंसर को भी वह गलत लिखकर चले आते हैं। डॉ। धनंजय की मानें तो इस फोबिया से स्टूडेंट्स खुद को बाहर रखकर ही बेटर परफॉर्म कर सकते हैं।