वहीं कानपुर स्थित एशिया के सबसे बड़े जू एलन फॉरेस्ट में संडे नाइट को बाघिन त्रुशा के दूसरे बच्चे की भी मौत हो गई जबकि पिछले महीने ही पहले बच्चे की मौत हुई थी। जू एडमिनिस्ट्रेशन की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ सालों में यहां 200 से ज्यादा जानवरों की मौत हो चुकी है।

संवेदनहीनता की इंतहा यह कि जू अफसर यह कह रहे हैं कि बाघिन त्रुशा तो कैट स्पीशीज की है सो अपने प्यारे बच्चों की मौत का गम महज तीन-चार दिनों में भूल जाएगी।

Zoo की भी नहीं मानी

आम तौर पर कार्निवोरस कैटेगरी में बच्चों का सर्वाइवल रेशियो 50 परसेंट तक होता है। कानपुर जू में बाघिन त्रुशा ने तीन शावकों के जन्म की जानकारी पर सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) ने कानपुर जू एडमिनिस्ट्रेशन को स्पेशल इंस्ट्रक्शन्स दिए थे। इन आदेशों में साफ कहा गया था कि बच्चों को छह महीने तक बाड़े से बाहर न निकाला जाए। बाघ के बच्चों के रखरखाव, डाइट और वेक्सीनेशन, बाड़े की साफ-सफाई के अप-टू-द-मार्क अरेंजमेंट्स करने को भी कहा गया था। मगर, शायद कानपुर जू अथॉरिटी ने इन आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया। यही वजह रही कि 30 मई को पैदा हुए तीन में से दो बच्चों की असमय मौत हो गई।

अब खुली आंखें

बाघिन त्रुशा के दो बच्चों की मौत के बाद कानपुर जू अथॉरिटी की नींद टूटी है। इसीलिए अब जू के अधिकारी और कर्मचारी तीसरे बच्चे (जिसे प्यार से जू के कर्मचारी गौरी कहकर बुलाते हैं) के मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। वेटेनेरियन डॉ। यूसी श्रीवास्तव ने बताया कि हमने तीसरे बच्चे का पूरा डायग्नोसिस कराने का फैसला किया है। इसके लिए बरेली स्थित आईवीआरआई (इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट) से कॉन्टेक्ट किया गया है। आईवीआरआई की सेंट्रल वाइल्ड लाइफ फॉर एनीमल्स (सीडब्लूए) की रिसर्च टीम बाघिन के बच्चे का ब्लड टेस्ट कर डायग्नोस करेगी।

तो शायद बच जाती जान

अगर बाघिन त्रुशा के तीनों बच्चों का फुल डायग्नोस पहले ही करा लिया जाता। तो शायद कोई भी बच्चा नहीं मरता। ना ही आनन-फानन में सीडब्लूए टीम को बुलाने की नौबत ही आती। जू अफसरों के मुताबिक गौरी पकडऩे से पहले उसे ट्रैंक्युलाइजर मैथड से बेहोश किया जाएगा। तभी उसका ब्लड सैम्पल कलेक्ट हो सकेगा और यह मालूम हो पाएगा कि कहीं गौरी को इंटरनल डिजीज तो नहीं?

Tuesday को भी हुई testing

दो-दो बच्चों की मौत के बाद कानपुर जू अथॉरिटी अब कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। शायद इसीलिए अफसर फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। ट्यूजडे को गौरी के यूरिन का सैम्पल लिया गया। डॉक्टर्स ने ब्लड सैम्पल से गौरी का पीएच, ब्लड शुगर, एलसीपीटी, किडनी में प्रोटीन की क्वांटिटी लेवल जांची गई है। फिलहाल, इसकी रिपोर्ट नॉर्मल आई है। डॉ। यूसी श्रीवास्तव ने कहा कि बाघिन और उसके बच्चे पर हर पल नजर रखी जा रही है। अब हम कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। इसीलिए उसकी हर एक गतिविधि को वॉच किया जा रहा है।

देश में बचे सिर्फ 1412 

टाइगर कंजर्वेशन के लिए गवर्नमेंट देश में ‘प्रोजेक्ट-टाइगर’ चला रही है। जब बाघिन त्रुशा ने तीन शावकों को जन्म दिया। तब इंडिया में टाइगर्स की संख्या 1414 हो गई थी। जू के इस अचीवमेंट से कानपुर का नाम भी वल्र्ड लेवल पर चमक गया था। 40 दिनों में दो शावकों की मौत से प्रोजेक्ट टाइगर को भी करारा झटका लगा है। अब देश में शावकों की संख्या घटकर 1412 बची है।