तीनों लड़कियां अब ब्रिटेन में ही रह कर पढ़ाई कर रही हैं लेकिन तालिबान केहमलेके बाद ये उनकी पहली मुलाक़ात थी.

ग्लोबल सिटिज़नशिप कमीशन की पहली सार्वजनिक बैठक को संबोधित करने के लिए मलाला एडिनबरा में थीं.

मलाला ने कहा कि उनकी दो सहेलियों क़ायनात रियाज़ और शाज़िया रमज़ान के जुड़ जाने से शिक्षा के यूनिवर्सल राइट्स यानी सार्वभौम अधिकार की उनकी मुहिम को और भी बल मिला है.

इस कमीशन की बैठक में उन्हें बतौर विशेष मेहमान बुलाया गया था. यह आयोजन पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और कारनेगी ट्रस्ट का मिलाजुला प्रयास था.

'हम डरे हुए नहीं है'

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इस कार्यक्रम के दौरान ही मलाला को न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय की मानद परास्नातक डिग्री औऱ शिक्षा व महिला अधिकारों के लिए काम करने के लिए कारनेगी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

मानद डिग्री मिलने पर समारोह में मौजूद क़रीब 1000 लोगों ने खड़े होकर मलाला के लिए तालियां बजाईं.

"जब मुझ पर हमला हुआ था तब लगा कि मैं शिक्षा के लिए अपना संघर्ष जारी नहीं रख पाउंगी लेकिन ना सिर्फ़ मैं अपना अभियान जारी रख सकी बल्कि अब क़ायनात औऱ शाज़िया भी मेरे साथ हैं.वे डरी हुई नहीं हैं. हम डरे हुए नहीं हैं. लोग सहयोग कर रहे हैं और ये हमारी सबसे बड़ी ताक़त है."

-मलाला

मलाला ने इस मौक़े पर कहा ''मैं पहली बार यहां आई हूं औऱ स्कॉटलैंड देखना बेहत अच्छा अनुभव है. जब मुझ पर हमला हुआ था तब लगा कि मैं शिक्षा के लिए अपना संघर्ष जारी नहीं रख पाउंगी लेकिन ना सिर्फ़ मैं अपना अभियान जारी रख सकी बल्कि अब क़ायनात औऱ शाज़िया भी मेरे साथ हैं.वे डरी हुई नहीं हैं. हम डरे हुए नहीं हैं. लोग सहयोग कर रहे हैं और ये हमारी सबसे बड़ी ताक़त है. वही हमारा हथियार है, हमारी एकता और हमारा साथ.''

मलाला ने आगे कहा ''किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए लोगों का साथ आना ज़रूरी है, मिलकर काम करना ज़रूरी है और इसीलिए मैं ख़ुद को सशक्त महसूस करती हूं.''

पिछले साल अक्तूबर में 16 वर्षीय मलाला पर तालिबान का हमला हुआ था क्योंकि वो लड़कियों के लिए शिक्षा के बेहतर अधिकारों की मांग कर रहीं थीं.

'हमले के बाद मलाला का इलाज बर्मिंघम के क्वीन एलिज़ाबेथ अस्पताल में हुआ और अब वो उसी शहर में परिवार के साथ बस गई हैं.

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