यह फ़िल्म एक ऐसे गरीब मुसलमान की है जो इत्र बेचकर हज करने के लिए पैसे जुटाता है। इस फ़िल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है और इसी फ़िल्म के लिए अभिनेता सलीम कुमार को भी अवार्ड मिला है।

फ़िल्म को सलीम अहमद ने प्रोड्यूस किया है जिसमें मुख्य भूमिकाएं ज़रीना वहाब और सलीम कुमार की हैं। इस फ़िल्म को चार राष्ट्रीय अवार्ड मिले हैं।

फ़िल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुपर्ण सेन ने पीटीआई को बताया कि अदामिन्ते मकन अबू के साथ 15 और फ़िल्में थीं जिन्हें ऑस्कर के लिए भेजे जाने पर विचार हो रहा था।

इसमें हिंदी फ़िल्म नो वन किल्ड जेसिका, सात ख़ून माफ़ और धोबी घाट जैसी फ़िल्में थीं। इसके अलावा रजनीकांत की एंथीरन (रोबोट),तमिल फ़िल्म आदुकुलम, बांग्ला फ़िल्म मोनेर मानुष भी प्रतियोगिता में थी।

ऑस्कर नामांकन समिति के बी लेनिन ने संवाददाताओं को बताया कि अदामिन्ते मकन अबू एक सीधी सादी फ़िल्म है जो मानवीय मूल्यों की महत्ता बताती है।

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