आम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा
पुत्रजया (एएफपी)।
मलेशिया में अरबों डॉलर के हुए घोटाले की जांच पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक की पत्नी रोसमा मंसूर तक पहुंच गई है। देश की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने सरकारी वित्त कोष 1मलेशिया डेवलपमेंट बिरहाद (1एमडीबी) में अरबों डॉलर के घोटाला मामले में उनसे सोमवार को तीन घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की। बता दें कि साल 2009 से पिछले माह तक मलेशिया के प्रधानमंत्री रहे नजीब पर अरबों डॉलर के घोटाले का आरोप है। इन घोटालों के चलते ही उन्हें पिछले महीने हुए आम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

नोटों से भरे कई बैग, आभूषण और महंगे हैंडबैग बरामद हुए

इसके बाद 92 वर्षीय महातिर मुहम्मद देश के प्रधानमंत्री बने। नई सरकार ने घोटालों की जांच के आदेश दिए। इस कड़ी में नजीब के घर पर छापे मारे गए जिसमें नोटों से भरे कई बैग, आभूषण और महंगे हैंडबैग बरामद हुए थे। रोसमा महंगे हैंडबैग की शौकीन हैं। वह लक्जरी शॉपिंग के लिए विदेश दौरे पर जाने के लिए जानी जाती हैं। वह नजीब की दूसरी पत्नी हैं। 66 वर्षीय रोसमा तीन गाडि़यों के काफिले के साथ भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी के मुख्यालय पर पहुंचीं।

नजीब रजाक से भी इस मामले में पूछताछ की थी
पूछताछ पूरी होने के बाद उनके वकीलों ने बताया कि जांचकर्ताओं ने तीन घंटे तक चली पूछताछ के दौरान उनके बयान दर्ज किए। इसके पहले मलेशिया भ्रष्टाचार रोधी आयोग के खुफिया निदेशक अब्दुल रजाक ने कहा था कि रोसमा से उनके बैंक खातों और नकदी के स्रोतों के बारे में पूछताछ की जाएगी। बता दें कि इससे पहले मलेशिया की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक से भी इस मामले में पूछताछ की थी। नजीब से पूछताछ के लिए मलेशिया भ्रष्टाचार रोधी कमीशन (एमएसीसी) ने उन्हें पुत्रजया शहर स्थित अपने मुख्यालय पर बुलाया था।

शुकरी अब्दुल के निगरानी में इस घोटाले की जांच
गौरतलब है कि एमएसीसी के प्रमुख शुकरी अब्दुल के निगरानी में इस घोटाले की जांच चल रही है और शुकरी मलेशिया में भ्रष्टाचार को लेकर सख्त रवैया के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि मलेशिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री मुहम्मद महातिर ने उन्हें दोबारा इस भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा सौंपा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुकरी 2015 में उस टीम के भी सदस्य रह चुके हैं, जो नजीब के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप की जांच कर रही थी। शुकरी ने मीडिया को बताया कि जब नजीब देश में प्रधानमंत्री के रूप में काम कर रहे थे तब उन्होंने अपने खिलाफ जांच को प्रभावित करने की पूरी कोशिश की, उनके टीम पर कई तरह से दबाव डाला। उनका उत्पीड़न तक किया गया। उन्होंने बताया कि उस वक्त उनके चश्मदीद गवाह को भी अगवा कर लिया गया। भारी दबाव को देखने के बाद शुकरी ने 2016 में सेवानिवृत्त होने का निर्णय लिया था।

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