संसद को सेना ने घेरा, विपक्षी सांसदों को सेना ने खदेड़ा

विपक्षी सांसदों के संसद में प्रवेश को रोकने के लिए वहां सेना को तैनात कर दिया गया। मुख्य विपक्षी दल एमडीपी ने कहा कि संसद सत्र स्थगित करने के विरोध में उसके सांसदों ने बैठक करने का प्रयास किया लेकिन सेना ने उन्हें खदेड़ दिया। रविवार को मालदीव पहुंचे दो विपक्षी सांसदों हिरासत में ले लिया गया। इससे पहले संसद के महासचिव अहमद मुहम्मद ने बिना कारण बताए इस्तीफा दे दिया। उपद्रव की आशंका को देखते हुए राजधानी माले में सभी सरकारी कार्यालयों और रिपब्लिक स्क्वायर के नजदीक पुलिस को तैनात कर दिया गया है। उधर, राष्ट्रपति यामीन ने अपनी पार्टी की रैली में कहा कि वह समय से पहले राष्ट्रपति चुनाव कराना चाहते हैं ताकि मतदाता यह फैसला करें कि वे क्या चाहते हैं। उनका कार्यकाल अगले साल नवंबर तक है।

सरकार ने सेना से कहा न मानें सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के आदेश के बाद पहली सार्वजनिक रूप से यामीन ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान इस तरह से सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं जिससे लोगों को कोई परेशानी न हो। इस बीच अटार्नी जनरल मुहम्मद अनिल ने पुलिस और सेना से यामीन को महाभियोग लगा कर अपदस्थ करने या गिरफ्तार करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मानने को कहा है। उन्होंने रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उनकी सूचना के अनुसार सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने या पद से हटाने का फैसला सुना सकता है। ऐसा कोई भी कदम संविधान के खिलाफ और गैरकानूनी होगा। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर संकट उत्पन्न हो सकता है।

विपक्ष की आशंका

मालदीव के संयुक्त विपक्ष ने आशंका जताई है कि सत्ता पर यामीन की पकड़ मजबूत करने के लिए सेना सत्ता संभाल सकती है। विपक्ष ने एक बयान में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अटार्नी जनरल का आपत्तिजनक बयान और उसे सुरक्षा बलों के दो प्रमुखों का समर्थन न्यायपालिका को दरकिनार करने की ओर इशारा करता है। मालदीव के लोगों को डर है कि राष्ट्रपति यामीन सेना को देश का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का आदेश दे सकते हैं। क्या है मामलामालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारत समर्थक पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद समेत नौ राजनीतिक नेताओं के खिलाफ मुकदमे को खारिज कर दिया था और उनकी रिहाई का आदेश दिया था। साथ ही 12 सांसदों की सदस्यता को बहाल कर दिया था। यामीन की पार्टी छोड़ने के बाद उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई थी। कोर्ट का आदेश पालन करने की भारत समेत कई देशों और संयुक्त राष्ट्र की अपील पर मालदीव के राष्ट्रपति ने ध्यान नहीं दिया और टकराव का रास्ता अपना लिया।

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