केस-1

मॉडलिंग में कॅरियर बनाने का जुनून था तो मैं पांच साल पहले मुंबई गया। यहां पहुंचा तो सबसे पहले सिस्टम को जानने की कोशिश की। पता चला कि डिजाइनर और कोरियाग्राफर के जरिए मुंबई में रैंप शो मिलते हैं। डिजाइनर तक पहुंचने के लिए मैंने को-ऑर्डिनेटर से कांटैक्ट किया। एक को-ऑर्डिनेटर ने मुझसे साफ कहा कि काम के लिए प्रॉब्लम नहीं है। मैं तुम्हें काम दिलवा दूंगा, लेकिन इसके लिए तुम्हें कॉम्प्रोमाइज करना होगा। पहले तो मैं समझ नहीं सका, फिर उसने कहा यहां मैक्सिमम डिजाइनर्स गे हैं। फस्र्ट टाइम मैं इसे समझ नहीं पाया। तब उसने समझाया कि यहां के मैक्सिमम डिजायनर गे है। बस यहीं तुम्हें कॉम्प्रोमाइज कर लेना है। लेकिन मुझे यह मंजूर नहीं था। स्ट्रगल आज भी जारी है।

केस - 2

मैं तीन साल से मुम्बई में स्ट्रगल कर रहा हूं। यहां पैसों की कमी नहीं है। रैंप व अलबम के लिए 20 हजार से 3 लाख रुपए तक आराम से मिल जाते हैं। लेकिन इसे पाने के लिए कई लेवल पर कॉम्प्रोमाइज करना पड़ता है। यहां को-ऑर्डिनेटर से लेकर डिजायनर तक गे हैं। मैं कोऑर्डिनेटर से किसी तरह पार पा सका। उसे साइड कर डिजायनर के पास गया लेकिन वह तो को-ऑर्डिनेटर से चार कदम आगे निकला। उसने मुझसे पहले ही सेक्स ही डिमांड कर डाली। मैं तो सुनकर हक्का-बक्का रह गया। इसके बाद मैंने अलबम और सीरियल की तरफ रुख किया। यहां भी इन्हीं चीजों से मेरा सामना हुआ। लेकिन मॉडलिंग की तुलना में यहां गे पर्सनालिटीज कम हैं। इससे थोड़ा-बहुत काम कर चल गया।

असलियत में सेफ लड़के भी नहीं

कुछ सालों पहले तक कास्टिंग काउच की दलदल में लड़कियों को खींचने की बात सुनाई-दिखाई देती रही है। लेकिन असलियत में सेफ लड़के भी नहीं है। जानकार लोगों की मानें तो मॉडलिंग सेक्टर फीमेल मॉडल्स से अधिक मेल मॉडल्स को सेक्सुअल कांप्रोमाइज करने पड़ते हैं। हालांकि मेल मॉडल्स के फेल्योर के दूसरे रीजन्स भी हैं। दूसरे स्ट्रगल तो फिर भी जैसे तैसे निपटाने वाले मेल मॉडल्स पर सेक्सुअल कांप्रोमाइज अधिक भारी पड़ रहा है।

काम के बदले रिश्वत

बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों में मॉडलिंग की चमक बढ़ी है। गल्र्स दो कदम आगे बढ़कर इसमें कॅरियर बना रही हैं। शहर की कई मॉडल्स ने तो नेशनल लेवल पर परचम भी लहरा दिए हैं। लेकिन इस सेक्टर में अभी भी ब्वॉयज का टोटा है। मेल आज भी मॉडलिंग को कॅरियर के रूप में चुनने में हिचकिचाते हैं। इसका मेन कारण है शहर में उनके लिए काम कम हैं और मुम्बई में काम है भी तो स्ट्रगल अधिक है। मेल मॉडल इस फील्ड में आना भी चाहते हैं तो उनसे प्लेटफार्म देने के नाम पर पैसे की डिमांड की जाती है। छोटी से छोटी ऐड के लिए भी स्टार्टिंग में मेल मॉडल्स से मोटी रकम की डिमांड की जाती है।

Expense अधिक income कम

मॉडल प्रेम संथालिया बताते हैं कि मॉडलिंग में खुद को मेंटेन रखने के लिए हमलोगों के एक्सपेंस ज्यादा होते हैं, जबकि यहां के काम से उतना इनकम नहीं होता। यहां सबसे बड़ी प्रॉब्लम है कि कपड़ों के ज्यादा रैंप नहीं होते हैं। साल में कुल मिलाकर चार-पांच ही रैंप शो होते हैं। उसमें भी बाहर के मॉडल को बुलाया जाता है। ऐसे में यहां से नए मॉडल कैसे आएंगे? वहीं राहुल सिंह बताते हैं कि रैंप के अलावा अलबम से मॉडल को इनकम हो सकता है। एक तो यहां भोजपुरी अलबम बनते हैं, वह भी अच्छे नहीं बनते हैं। यदि ऐसे अलबम करें तो मॉडल का कॅरियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।

सिर्फ contacts वालों को entry

स्टेट से बड़ी संख्या में यूथ मॉडलिंग में कॅरियर बनाने का सपना पाले मुम्बई पहुंचते हैं। लेकिन यहां की हकीकत जानने के बाद कईयों को वापस लौटना होता है। यहां रैंप से लेकर अलबम तक में पैसे तो पूरे मिलते हैं लेकिन कांटैक्ट्स होने की बाद ही। यदि कांटैक्ट्स नहीं है तो काम नहीं मिलता। स्टेट के पहले मि। बिहार गौरव उज्जैन कहते हैं कि मैं 2005 से मुम्बई में स्ट्रगल कर रहा हूं। लेकिन अचीवमेंट के नाम पर मि। बिहार का टाइटल ही है। ऊपर से यहां मेल मॉडल के साथ भी कास्टिंग काउच होता है। इन सब चीजों से निपटना आसान नहीं है। गल्र्स से ज्यादा यहां मेल मॉडल को प्रॉब्लम से जूझना पड़ता है।

भीड़ में खो जाते हैं models  

मुम्बई में देश भर के यूथ मॉडलिंग में कॅरियर बनाने के लिए पहुंचते हैं। भीड़ अधिक होने की वजह से डिजायनर से लेकर को-ऑर्डिनेटर और इवेंट कंपनी तक मनमानी करते हैं। पैसे से लेकर सेक्स तक की डिमांड करना, इनकी रुटीन में शामिल है।

मॉडलिंग में भीड़ नहीं क्लास की जरूरत होती है। ऑडिशन में लोग आते हैं लेकिन संख्या और बढऩी चाहिए.बाकी शहरों से तुलना करें तो यहां कम यूथ मॉडलिंग में आते हैं। इसका कारण है ज्यादातर मॉडल शोषण के शिकार हैं।

मनमीत सिंह अलबेला, अलबेला इवेंट प्रा। लि।

मॉडल को काम नहीं मिल पाता है। हमलोग भी शो के लिए पांच-छह मॉडल से कांट्रैक्ट करते हैं। उन्हें काम देते हैं। लेकिन बाकियों का क्या? ऊपर से मॉडल से पैसों से लेकर दूसरे चीजों की डिमांड की जाती है।

आशुतोष, कॉल मार्ट इवेंट प्रा। लि।

यहां मेल मॉडल के लिए वर्क नहीं है। पूरे साल में प्राइज को छोड़ दिया जाए तो मैंने मात्र 35 हजार रुपए अर्न किए हैं। दो रैंप शो के लिए मुझे बुलाया गया लेकिन कोई पैसे नहीं दिए गए। इसके बाद मैं दूसरे किसी जगह काम करना छोड़ दिया। मेरे दोस्त बताते हैं कि जब काम मांगने जाते हैं तो पैसे की डिमांड की जाती है।

सिद्धार्थ सिंह

मि। बिहार, 2012

आंकड़े बोलते हैं :

मिस्टर बिहार ऑडिशन में आए मॉडल

साल      अलबेला इवेंट    कॉल मार्ट

2010       ---           150-200  

2011       60-70          ----

2012       80-90         250

2013       90-100        ----