स्वरा का कहना है कि इस सीन को करने से पहले उनके पसीने छूट गए. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया, "जब मैंने सीन का ब्रीफ़ सुना तो मेरे होश उड़ गए. मैं बड़ी नर्वस थी. लेकिन मेरे निर्देशक देवलॉय रॉय और साथी कलाकार ने काफ़ी देर तक मेरी हिम्मत बढ़ाई और उनके सहयोग से मैं ये सीन कर पाई."

स्वरा ने दावा किया कि सुनने में ये सीन जैसा भी लगे लेकिन निर्देशक ने इसे फ़िल्माते वक़्त बड़ी सावधानी बरती. वो कहती हैं, "हमें मालूम था कि ऐसे सीन अगर ठीक से ना किए जाएं तो पर्दे पर बड़े भौंडे लग सकते हैं. इसलिए हमने बड़ी सावधानी से इसे फ़िल्माया. और इसे बेहतरीन तरीक़े से कर पाए."

'मछली जल की रानी है' एक हॉरर फ़िल्म है. इसमें उन्होंने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है जिस पर भूत का साया है. फ़िल्म के एक सीन के लिए उन्हें कच्ची मछली भी खानी पड़ी थी.

अफ़सोस और ख़ुशकिस्मती

Swara Bhaskar with Deepti and Farooq

स्वरा भास्कर को एक बात का अफ़सोस है कि उन्होंने 'लिसन अमाया' और 'औरंगज़ेब' जैसी फ़िल्मों में अहम किरदार निभाया है लेकिन आज भी उन्हें 'तनु वेड्स मनु' और 'रांझणा' जैसी फ़िल्मों से ही लोग जानते हैं जिनमें उन्होंने सहायक अभिनेत्री का किरदार निभाया.

वो कहती हैं, "ये दोनों ही फ़िल्में चल पड़ीं तो मुझे लोग इसी वजह से जानते हैं. लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ी संतुष्टि ये रही कि मैंने 'लिसन अमाया' में फ़ारुख़ शेख सर और टीवी सीरियल संविधान में श्याम बेनेगल सर के निर्देशन में काम किया. मुझे लगता है कि मेरे छोटे से करियर की ये सबसे बड़ी उपलब्धि है."

स्वरा भास्कर इस बात के लिए अपने आपको ख़ुशकिस्मत मानती हैं कि ग़ैर फ़िल्मी परिवार से होने के बावजूद वो अपने लिए एक मुक़ाम बना पाईं. वो कहती हैं, "जैसे रोज़ाना दस हज़ार लोग मुंबई रेलवे स्टेशन पर उतरते हैं और बॉलीवुड में अपनी किस्मत आज़माने आते हैं वैसे ही मैं भी अपना सूटकेस लेकर स्टेशन पर उतरी थी. लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे अच्छे लोग मिले."

मोदी का विरोध

Sawara Bhaskar

16 मई को जब लोकसभा चुनाव परिणामों की घोषणा हुई तब स्वरा भास्कर ने भारतीय जनता पार्टी के विरोध में एक ट्वीट किया था. जिसके जवाब में उन्हें कई 'हेट मेल' मिले और कई लोगों ने उन पर कथित तौर पर अश्लील टिप्पणियां की. स्वरा ने इस बारे में कहा, "मैंने इस देश का नागरिक होने के नाते अपनी राय रखी थी. लोगों को उस पर आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार था. लेकिन जिस भाषा में मेरा विरोध किया गया वो ग़लत था. लेकिन मैं क्या कर सकती हूं."

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