बीबीसी से बातचीत में ममता बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस केंद्र में सत्तारूढ़ यूपीए गठबंधन की सबसे बड़ी घटक पार्टी है इसलिए जब उन्हें लगता है कि कुछ गलत हो रहा है तो वे आवाज़ उठाती हैं।

उन्होंने कहा, “मैं नहीं चाहती की हर छह महीने, एक या दो साल में सरकारें गिरें। मैं इसमें यकीन नहीं रखती। लेकिन जब गठबंधन सरकार हो तो सहयोगी दलों से सलाह ली जानी चाहिए, क्योंकि वे सरकार का हिस्सा होते हैं। इसलिए हम मानते हैं कि आवाज़ उठाना हमारा नैतिक दायित्व है.”

'वादे पूरे करती हूं'

भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव की चर्चा करते हुए उन्होंने कि अब एक दल का राज नहीं आ सकता क्योंकि कांग्रेस और भाजपा देश के कई हिस्सों में अपना आधार खो चुके हैं।

ममता बनर्जी ने कहा कि लोग क्षेत्रीय नेतृत्व पर दिल्ली के नेतृत्व से अधिक भरोसा करते हैं क्योंकि हर क्षेत्र की अपनी अलग आकांक्षाएं होती हैं।

तृणमूल कांग्रेस खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश का विरोध करती है और यूपीए सरकार को घोषणा करने के बाद ये निर्णय वापस लेना पड़ा था। साथ ही ये पार्टी तेल के दामों की बढ़ोतरी के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार से अलग राय जाहिर करती रही है।

महंगाई पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री कहती हैं, “महंगाई बहुत बढ़ गई है। कीमतें बढ़ाना आसान विकल्प है लेकिन ये समाधान नहीं है। देश का आधा हिस्सा छोटी दुकानों पर निर्भर करता है। ऐसा संदेह कि खुदरा बाज़ार में विदेशी निवेश से आम आदमी के रोज़गार के अवसरों को धक्का पहुंचेगा। हमें मौजूदा व्यवस्था को नहीं बदलना चाहिए.” हाल ही में अमरीकी पत्रिका टाइम ने ममता बनर्जी को दुनिया के सौ प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया है।

अपनी राजनीति और काम करने की तरीकों पर वे कहती हैं, “कुछ राजनीतिज्ञ अपने वादे पूरे नहीं करते लेकिन मैं सौ प्रतिशत प्रतिबद्धता से काम करती हूं। पिछले दस महीनों में मैंने जो कहा है उसमें से 99 प्रतिशत पूरा किया है। मुझे इस बात पर गर्व है। मेरे जीवन में काम के प्रति कटिबद्धता मेरा सबसे बड़ा गुण है.”

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