उन्होंने कहा कि वह अल-नुसरा फ़्रंट की ओर से संघर्ष कर रहे हैं. ये अल-क़ायदा से जुड़ा हुआ संगठन है और ब्रिटेन में प्रतिबंधित है.

इस बीच ब्रिटेन में मुसलमान धर्मगुरुओं ने ब्रितानी युवाओं से सीरिया और इराक़ में जारी जिहाद में शामिल न होने की अपील की है.

सौ से अधिक धर्मगुरुओं ने एक खुले पत्र में लोगों से नस्लीय भेदभाव का शिकार न होने की अपील की है.

इमामों ने पत्र में कहा है कि लोग ज़िम्मेदार और सुरक्षित तरीक़े से मदद करें.

'इस्लाम का काला झंडा'

ब्रितानी ख़ुफ़िया एजेंसियों का अनुमान है कि क़रीब पाँच सौ ब्रितानी नागरिक सीरिया और इराक़ में जिहाद में शामिल हैं.

सीरिया में लड़ रहे उस ब्रितानी व्यक्ति ने बीबीसी से कहा, "हम तब तक नहीं लौटेंगे जब तक बकिंघम पैलेस पर इस्लाम का काला झंडा न फ़हरा दें."

इस लड़ाके ने दावा किया है कि वह एक साल से सीरिया में हैं और बम बनाने और दुश्मनों को ख़त्म करने का प्रशिक्षण ले रहे हैं. उनके मुताबिक इस्लामी राज्य का विरोध करने वाला हर व्यक्ति उनका दुश्मन है.

अपने पत्र में इमामों ने लिखा है, "मुसलमान समुदाय इराक़ और सीरिया में प्रभावित लोगों के लिए मानवीय कार्य जारी रखें."

कुछ दिन पहले आईएसआईएस की ओर से जारी एक प्रचार वाले वीडियो में कुछ ब्रितानी लड़ाके भी दिखे थे जिसके बाद से इस्लामी चरमपंथ को लेकर ब्रिटेन की चिंताए बढ़ गई हैं.

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