-बरेली दाल मिलर्स एसोसिएशन ने सीएम और कृषि मंत्री से टैक्स में छूट की मांग की

- मंडी टैक्स की मार के चलते शहर की दस से अधिक दाल मिलें हो चुकी हैं बंद

BAREILLY:

मंडी टैक्स से डूब रहे बिजनेस को बचाने के लिए बरेली दाल मिलर्स ने टैक्स में छूट की मांग सीएम और कृषि मंत्री से किया हैं। ढाई परसेंट लग रहे मंडी टैक्स और एक परसेंट वैट ने दाल मिलर्स की कमर तोड़ दी हैं। समय के साथ शहर के 10 से अधिक दाल मिल बंद हो गयी हैं। फिलहाल जो मिल चल भी रही हैं वह बंदी के कगार पर पहुंच गयी हैं। मंडी टैक्स की मार से दाल मिलर्स को उबारने के लिए बरेली दाल मिलर्स एसोसिएशन ने सैटरडे को सीएम अखिलेश यादव और कृषि मंत्री को लेटर लिखा हैं।

टैक्स में छूट के लिए सीएम से मांग

शहर में करीब 50 दाल मिल वर्तमान समय में चल रही हैं। लेकिन, प्रदेश में कच्चा माल पर्याप्त नहीं मिलने पर इन मिलर्स को दूसरे स्टेट पर निर्भर रहना पड़ता हैं। एमपी, दिल्ली और मुम्बई पोर्ट से अधिकतर कच्चा माल शहर आता हैं। कच्चा माल से दाल तैयार कर मिलर्स उसकी बिक्री करते हैं। निर्मित दाल पर मिल के मालिकों को ढाई परसेंट मंडी टैक्स चुकाना पड़ता हैं। जिसके चलते दाल के भाव काफी बढ़ जाते हैं। जबकि, दूसरे राज्यों के साथ ऐसा नहीं हैं। दिल्ली, एमपी, बंगाल और बिहार जैसे- राज्यों में किसी प्रकार का मंडी शुल्क नहीं हैं। हालांकि, स्टेट के ही अन्य मंडियों से कच्चा माल मंगाकर दाल तैयार करने में टैक्स नहीं देना पड़ता हैं। लेकिन, स्टेट में दालों के अनाज इतना उत्पादित नहीं होता है कि पूरे साल अपना मिल चला सके। ऐसे में दाल मिलर्स को दूसरे स्टेट पर निर्भर रहना पड़ता हैं।

तो 4 रूपए कम हो जाऐंगे दाल के रेट

बरेली दाल मिलर्स एसोसिशन के सेक्रटरी सुरेश चंद्र जैन ने बताया कि मंडी टैक्स में छूट के लिए सीएम साहब को लेटर लिखा गया हैं। कुछ दिन पहले एमपी की गवर्नमेंट ने भी मंडी शुल्क माफ कर दिया हैं। मंडी टैक्स में छूट मिलने पर दाल के भाव में गिरावट आ जाएगी। कम से कम प्रति केजी 3 से 4 रुपए रेट में कमी आयेगी। टैक्स की मार से बचने के लिए हम लोग भी थोड़ा बहुत ही कच्चा माल दूसरे स्टेट से मंगाते हैं। पूरे प्रदेश में बरेली और कानपुर ही ऐसे शहर हैं जहां पर दाल सबसे अधिक तैयार की जाती हैं। लेकिन, टैक्स की मार से दाल मिलें बंद होती जा रही हैं।