-मंडलीय अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना हो रहा मुश्किल

-डेली महज 30 से 40 फीसदी स्टूडेंट्स के बन रहे सर्टिफिकेट

-बाकी छात्र-छात्राएं दिन भर भागदौड़ करने के बाद लौट जा रहे वापस

>

VARANASI

मंडलीय अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट को बनवाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अगर कोई जुगाड़ या परिचित है तो काम होने के आसार बढ़ जाते हैं। नहीं तो दिन भर डॉक्टर्स के पास दौड़भाग करने के बाद स्टूडेंट्स वापस लौट जा रहे हैं। दरअसल इस समय विभिन्न संस्थानों व इंजीनियरिंग कॉलेजेज में एडमिशन के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में यह सर्टिफिकेट बनवाने के लिए डेली काफी संख्या में स्टूडेंट्स मंडलीय व जिला हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। लेकिन यहां इन्हें तमाम मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है। यहां डेली आवेदन करने वाले स्टूडेंट्स में से महज 30 से 40 फीसदी का ही सर्टिफिकेट बन पा रहा है। बाकी छात्र-छात्राओं को सर्टिफिकेट बनवाने के लिए अपना चप्पल घिसना पड़ रहा है।

गुजरना पड़ रहा है कई जांच से

दरअसल, मेडिकल बनवाने की प्रक्रिया लम्बी है। स्टूडेंट के आवेदन करने के बाद उन्हें फिजीशियन, नेत्र रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ और सर्जन के पास जांच के लिए भेजा जा रहा है। जिस समय स्टूडेंट डॉक्टर्स के पास पहुंचते हैं। उस समय ओपीडी चल रहा होता है। लिहाजा डॉक्टर मरीज देखने में बिजी रहते हैं। ऐसे में इंतजार करने के सिवा कोई चारा नहीं बचता है। अगर एक डॉक्टर ने जांच कर ली तो दूसरे या तीसरे के पास जाने पर इंतजार ही करना पड़ रहा है।

सर्टिफिकेट देना है अनिवार्य

इस महीने स्कूल्स, कॉलेज समेत टेक्निकल, प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिला चल रहा है। इनमें खासकर टेक्निकल और प्रोफेशनल कॉलेजेज में एडमिशन लेने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में पॉलीटेक्निक, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट कॉलेज आदि में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स मंडलीय अस्पताल या फिर जिला अस्पताल की शरण लेने को विवश हैं।

बातचीत--

लगातार चार दिन अस्पताल आने के बाद मेडिकल सर्टिफिकेट बन सका। डॉक्टर्स और कर्मचारियों ने खूब दौड़ाया।

शिवानी यादव, जैतपुरा

सुबह से डॉक्टर्स के पास दौड़भाग कर रहा हूं, लेकिन दो डॉक्टर नहीं मिले। अब अगले दिन सर्टिफिकेट बनने के चांस हैं।

आर्यन त्रिवेदी, प्रह्लाद घाट

मेडिकल बनाने में अस्पताल कर्मी खूब खेल करते हैं। परिचित या जुगाड़ वालों का काम घंटों में हो जाता है, लेकिन अन्य स्टूडेंट्स को दौड़ाया जा रहा है।

सीमा सिंह, सिकरौल

सरकार को मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। या फिर प्रक्रिया छोटी करनी चाहिए, जिससे कि स्टूडेंट्स को सहूलियत मिल सके।

गौरव वर्मा, मच्छोदरी

एक नजर

32

रुपये है सर्टिफिकेट बनवाने की फीस

70 से 90

आवेदन डेली आते हैं मंडलीय अस्पताल में

25 से 30

स्टूडेंट्स का बन पा रहा है सर्टिफिकेट

158

मेडिकल सर्टिफिकेट बने एक हफ्ते में

मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की निर्धारित प्रक्रिया है। उसी हिसाब से सर्टिफिकेट बनते हैं। प्रयास रहता है कि ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स का सर्टिफिकेट बन जाए। जिससे उन्हें परेशानी ना हो।

डॉ। बीएन श्रीवास्तव, एसआईसी, मंडलीय अस्पताल