बीते एक सप्ताह के अंदर बाघ ने तीन लोगों को अपना शिकार बनाया है, जिसके बाद से ही स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है. वन्य अधिकारियों के विशेषज्ञों का दल गुरूवार सुबह से ही आदमखोर बाघ की तलाश में लगा है.

इससे पहले अधिकारियों और समीपवर्ती गाँवों के निवासियों ने बुधवार को पूरे दिन इस बाघ को तलाश करने की कोशिश की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली.

बांदीपुर बाघ अभयराण्य क्षेत्र के संरक्षक एचसी कंठराजू ने बीबीसी को बताया, "हमारे दल में बाघ को बेहोशी की दवा देने वाले और शूटर्स, दोनों मौजूद हैं. आदमखोर बाघ के मिलने पर तय करेंगे कि हम कौन सा विकल्प अपनाएंगे."

एक सप्ताह में तीन शिकार

स्थानीय लोगों ने प्रोजेक्ट टाइगर अभियान के अधिकारियों की कुछ जीपों और वन्य निगरानी के लिए बने बंगलों में लगी सौर ऊर्जा उपकरणों में आग लगा दिया.

मैसूर: आदमखोर बाघ का आंतक,तीन बने शिकार

बांदीपुर बाघ अभयारण्य क्षेत्र के संरक्षक एचसी कंठराजू ने बीबीसी को बताया, "तीसरे किसान का शव बरामद हुआ है. हम लोगों ने शव पर बाघ के नाखून के निशान देखे. बाघ नजदीक में ही कहीं मौजूद है. आदमखोर बाघ के आतंक के चलते आस-पास के 15-20 गांवों में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है."

आदमखोर बाघ के शिकार बने तीसरे किसान शिवामालाप्पा बासाप्पा की उम्र 60 साल थी. उनके बेटे महेश को अपने पिता के शरीर का केवल पांव और सिर मैसूर के एचडी कोटे इलाके की चिक्काबारागी गाँव में मिला, जबकि उनके शरीर का बाकी हिस्सा हेदयालय वन्य क्षेत्र के करीब बरामद किया गया.

हेदयालय वही इलाका है जहां अधिकारियों ने आदमखोर बाघ की तलाशी बंद कर दी थी. अंतिम बार बाघ को 30 नंवबर को एचडी कोटे तालुक के सीगेवाडीहाडी इलाके में देखा गया था.

आदमखोर बाघ का आतंक

आदमखोर बाघ ने 27 नवंबर, 2013 को नादाहाडी के वासवाराजू को मार डाला था. इसके दो दिन बाद सेगेवाडीहाडी इलाके में चेलुवा को अपना दूसरा शिकार बनाया.

आदमखोर बाघ की तलाश कर रहे अधिकारियों ने जहां 30 नवंबर को अपनी तलाश खत्म की थी, वहां से दो किलोमीटर आगे बसप्पा को बाघ ने अपना शिकार बनाया.

इलाके में एक और यानी चौथे किसान की हत्या भी हुई है, लेकिन वन्य अधिकारियों ने साफ किया है कि यह किसान आदमखोर बाघ का शिकार नहीं हुआ है. कंठराजू ने बताया, " चौथे किसान की मौत तो हुई है, लेकिन उनके शरीर के किसी हिस्से में उस तरह के निशान नहीं मिले हैं, जैसे बाक़ी तीन शवों पर मिले थे."

मैसूर: आदमखोर बाघ का आंतक,तीन बने शिकार

मैसूर स्थित मुख्यालय से प्रोजेक्ट टाइगर के निदेशक सी. श्रीनिवासन ने कहा, "जैसे ही आदमखोर बाघ मिलेगा, हमारे सहयोगी उसे बेहोश करने वाली दवा देने की कोशिश करेंगे."

बाघ संरक्षण मामलों के जानकार डॉ. उल्लास कारांत कहते हैं, "बेहोश करने वाली दवा से काम नहीं चलेगा. उसे गोली मारनी होगी. समय नष्ट किया जा रहा है, तब संरक्षण का कोई मतलब नहीं रह जाता है, जब गाँव वालों की मौत हो रही हो."

इलाके में 300 बाघ

बांदीपुर बाघ अभयारण्य काफी बड़ा अभयारण्य क्षेत्र है जो दक्षिण भारत के तीन राज्यों में फैला है. बांदीपुर, नागारहोल, बीआर हिल्स, मधुमलाई और सत्यामांगलम और वेनाद में बाघों की अनुमानित संख्या 300 के आसपास है.

"बेहोश करने वाली दवा से काम नहीं चलेगा. उसे गोली मारनी होगी. समय नष्ट किया जा रहा है, तब संरक्षण का कोई मतलब नहीं रह जाता है, जब गाँव वालों की मौत हो रही हो."

-डॉ. उल्लास कारांत, बाघ संरक्षण मामलों के जानकार

कारांत बताते हैं, "इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे ज़्यादा बाघ मौजूद हैं. कम कम से 300 तो होंगे ही."

कारांत बाघ संरक्षण विभाग के अधिकारियों के रवैए से संतुष्ट नहीं हैं, उन्होंने कहा, " कम से कम दूसरे-तीसरे शख़्स की जान बचाई जा सकती थी, अगर इलाके में शूटरों का एक छोटा दल उस इलाके में जाता जहां बाघ को देखा गया था."

प्रोजेक्ट टाइगर विभाग के निदेशक श्रीनिवासन के मुताबिक यह प्रक्रिया आसान नहीं है. वे बताते हैं, "मुख्य वाइल्डलाइफ़ वॉर्डन की स्पष्ट अनुमति के बिना हम बाघ पर गोली नहीं चला सकते. यह कानून है."

लेकिन गाँव वालों के बीच डर और भय को देखते हुए अब वन्य प्रशासन किसी भी तरीके आदमखोर बाघ पर काबू पाना चाहता है.

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