-रिम्स में मणिपाल खोल रहा रेडियोलॉजी सेंटर, सरकारी दर पर होगी जांच

-राज्य सरकार ने कंपनी से किया है करार, जोर-शोर से चल रही तैयारी

RANCHI (8 Nov) : रिम्स में आने वाले मरीजों को अब रेडियोलॉजी की जांच के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वहीं हाथों हाथ मरीजों को रिपोर्ट भी मिल जाएगी। इसके अलावा मरीजों को जांच के लिए अपनी जेब भी ज्यादा हल्की नहीं करनी पड़ेगी। इसके लिए रिम्स कैंपस में मणिपाल कंपनी अपना रेडियोलॉजी सेंटर खोल रही है। जहां सरकारी दर पर मरीजों की रेडियोलॉजी जांच की जाएगी। बताते चलें कि स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सरकारी हास्पिटलों में रेडियोलॉजी जांच के लिए मणिपाल कंपनी के साथ एमओयू किया है। जो मरीजों का सस्ती दर पर एमआरआइ, सिटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड करेगी।

रैन बसेरा में बन रहा सेंटर

हास्पिटल प्रबंधन ने मणिपाल को रेडियोलॉजी सेंटर खोलने के लिए रैन बसेरा के बेसमेंट में जगह उपलब्ध कराई है। जहां मरीजों की रेडियोलॉजी की जांच की जाएगी। रिम्स डायरेक्टर डॉ.बीएल शेरवाल ने बताया कि मणिपाल को ट्रामा सेंटर वाले जगह पर सेंटर बनाना था। लेकिन तकनीकों कारणों से ट्रामा सेंटर नई बिल्डिंग में शिफ्ट नहीं हो पाया। और कंपनी के लोग जल्दी ही अपनी सर्विस देना चाह रहे है। इसलिए तत्काल उन्हें रैन बसेरा में जगह दी गई है।

रेडियोलॉजी की जांच

-70 अल्ट्रासाउंड होते हैं हर दिन

-क्भ् मरीजों का रोज होता है एमआरआई

-70 मरीजों का होता है सिटी स्कैन

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अल्ट्रासाउंड की तीन मशीनें पड़ी है बंद

हास्पिटल में ओपीडी और भर्ती दोनों मिलाकर करीब क्भ्0 मरीज अल्ट्रासाउंड के लिए आते हैं। लेकिन उसमें से आधे मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड हो पाता है। ऐसे में आधे मरीजों को खाली हाथ ही लौटा दिया जाता है। या फिर उन्हें दो-तीन दिन की वेटिंग मिलती है। बताते चले कि रिम्स की तीन अल्ट्रासाउंड मशीनें बंद पड़ी है। इस वजह से मरीजों को काफी दिक्कत होती है।

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एमआरआई मशीन हो चुकी है पुरानी

रिम्स की एमआरआइ मशीन भी पुरानी हो चुकी है। ऐसे में उसके पा‌र्ट्स भी आसानी से नहीं मिलते है। और खराब हो जाने पर इंजीनियर को बाहर से बुलाना पड़ता है। जिससे कि कई दिनों तक मरीजों का एमआरआइ नहीं हो पाता है और मरीजों को दो-तीन गुना अधिक पैसे देकर प्राइवेट सेंटरों में जांच करानी पड़ती है। वार्ड और ओपीडी के मरीजों को मिलाकर क्भ् मरीज एमआरआइ के लिए आते है।

सिटी स्कैन मशीन पर मरीज का लोड

मशीन एक होने की वजह से मरीजों का लोड सिटी स्कैन में काफी है। यहां भी करीब 70 मरीज सिटी स्कैन के लिए पहुंचते है। इसके अलावा बाकी के मरीजों को वेटिंग भी मिलती है। वहीं रिपोर्ट के लिए भी मरीजों को इंतजार करना होता है।