- 20 किमी वॉक प्रतियोगिता में उत्तराखंड के मनीष और गुरमीत उतरेंगे ट्रैक पर

- रियो में आज उत्तराखंड के एथलीट दिखायेंगे अपना दम

- भारतीय समय के अनुसार रात 11.30 बजे होगा मुकाबला

DEHRADUN: रियो ओलंपिक की ख्0 किमी वॉक प्रतियोगिता का शुक्रवार देर रात यानि कि आज फाइनल होगा। इसमें चमोली जिले के गंगोल गांव निवासी मनीष रावत और बाजपुर निवासी गुरमीत सिंह भी भाग लेंगे। मनीष और गुरमीत की जीत के लिए प्रदेश के खेल प्रेमी दुआएं मांग रहे हैं। भारतीय समय के अनुसार रात क्क्.फ्0 बजे और ब्राजील के समय के अनुसार दोपहर में करीब ख्.फ्0 बजे ख्0 किमी की वॉक प्रतियोगिता शुरू होगी। जिसमें विश्व के सर्वश्रेष्ठ एथलीट ट्रैक पर जीत के इरादे से उतरेंगे। मूल रूप से चमोली जिले के सगर गांव निवासी मनीष रावत उत्तराखंड पुलिस के जवान हैं। जिन्होंने रियो ओलंपिक के लिए ख्0 किमी और भ्0 किमी पैदल वॉक रेस में ए-स्टैंडर्ड में क्वालीफाई किया था। वह वर्तमान में ख्0 किलोमीटर पैदल चाल की रैकिंग में नंबर वन की पोजिशन पर हैं। जिसमें उनकी बेस्ट टाइमिंग क् घंटा ख्0 मिनट ख्म् सेकेंड है। जबकि भ्0 किमी में वॉक में उनकी भ्वीं रैंक है। इसमें उनका सर्वश्रेष्ठ टाइम फ् घंटा भ्म् मिनट भ्0 सेकेंड है।

मनीष के कोच अनूप बिष्ट ने दिया गुरुमंत्र

मनीष के कोच अनूप बिष्ट जो वर्तमान में खेल विभाग में बतौर डिप्टी स्पो‌र्ट्स ऑफिसर देहरादून में तैनात हैं। अनूप बिष्ट ने आई नेक्स्ट से विशेष बातचीत में कहा कि उन्हें मनीष से मेडल की काफी उम्मीदें हैं। उनकी हर रोज मनीष से इन दिनों बात होती है। अनूप बिष्ट ने मनीष को रियो ओलंपिक के लिए कुछ खास गुरु मंत्र भी दिए हैं। अनूप बिष्ट ने कहा कि उन्होंने मनीष से कहा कि तुम्हारी तैयारी अच्छी है। ट्रैक जब खिलाड़ी उतरते हैं, तो बड़ा नाम कुछ नहीं होता है। हर दिन नए रिकार्ड बनते और टूटते हैं। इसलिए यह सोचकर उतरो कि आज तुम्हारा दिन है। ट्रैक पर उतरते हुए किसी प्रकार से प्रेशर अपने ऊपर मत रखना और कॉन्फिडेंस बनाकर रखना। व‌र्ल्ड लेवल के एथलीट के साथ पहले भी प्रतियोगिता में भाग लिया है, इसलिए नर्वस होने का सवाल ही नहीं होता है।

कठिनाईयों के बीच गुजरा मनीष का बचपन-

मनीष काफी कठिनाईयों का सामना करते हुए ओलंपिक तक पहुंचे हैं। बचपन में स्कूल जाने के लिए हर दिन क्ब् किमी की दूरी नापनी पड़ती थी। वर्ष ख्00ख् में पिता का स्वर्गवास होने के बाद घर का बड़ा होने के कारण उन पर काफी जिम्मेदारियां थी। ऐसे में मनीष को अपनी प्रेक्टिश के साथ बदरीनाथ के एक होटल में पार्ट टाइम नौकरी, यात्रियों के लिए गाइड और इसके साथ उन्हें घरों में दूध भी बेचना पड़ा। मां और कोच अनूप बिष्ट के सहयोग से ख्0क्क् में वह उत्तराखंड पुलिस में भर्ती हो गया। इसके बाद अपनी दो बहनों का विवाह संपन्न करवाया। छोटे भाई की भी इस बीच आर्मी में नौकरी लग गई। इस बीच ख्0क्ख् में ऑल इंडिया पुलिस चैंपियनशिप में मनीष ने ब्रोंज मेडल जीता। उस समय लंदन ओलंपिक चल रहा था, तो कोच अनूप बिष्ट के कहने पर मनीष ने रियो ओलंपिक के लिए तैयारी शुरू की। इसके बाद वह प्रशिक्षण लेने पटियाला गए। इसके बाद लगातार नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर वह मेडल जीतते चले गए। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें ओलंपिक का टिकट मिल ही गया।

मनीष के गांव में भी पूजा अर्चना-

मनीष की जीत के लिए चमोलीवासियों ने गुरुवार को प्रसिद्ध गोपीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। पूजा में मनीष के सगर गांव की लोग, गोपेश्वर के व्यापारी, गोपीनाथ समग्र विकास समिति के पदाधिकारी, 'उम्मीदें' ग्रुप के सदस्य व प्रबुद्धजनों ने शिरकत की। मनीष की मां उíमला देवी के नेतृत्व में महिलाओं ने इस मौके पर भजन-कीर्तन भी किए गए।

गुरमीत सिंह को है अनुभव-

बाजपुर के बन्नाखेड़ा गांव के निवासी गुरमीत सिंह इससे पहले लंदन ओलंपिक में इंडिया के लिए प्रतिभाग कर चुके हैं। उस समय वे ख्0 किमी पैदल चाल में फ्फ्वें नंबर आए थे। इसलिए गुरमीत से मेडल की ज्यादा उम्मीद है, क्योंकि उन्हें ओलंपिक में खेलने का अनुभव है। इसलिए वह इस पर ओलंपिक में भारत के लिए मेडल का सूखा खत्म कर सकते हैं। गुरमीत फ्ब् साल में एशियन ख्0 किमी वॉक रेस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। जबकि इस साल फरवरी माह में थर्ड नेशनल ओपन रेस वॉक प्रतियोगिता में उन्होंने क् घंटा ख्क् मिनट ख्ब् सेकेंड का समय निकालकर गोल्ड मेडल जीता था।