माना जा रहा है कि दोनों ही पक्षों की कोशिश होगी कि भारत और अमरीका के रिश्तों में फिर से वही गर्माहट नज़र आए जो 2008 के परमाणु समझौते के बाद दिखी थी.

पिछले चार सालों में दोनों नेताओं की ये तीसरी द्विपक्षीय मुलाक़ात है लेकिन 2009 के मनमोहन सिंह के वाशिंगटन दौरे के मुक़ाबले इस बार माहौल काफ़ी ठंडा नज़र आ रहा है.

ये दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है जब भारत आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है और दोनों ही देशों के आर्थिक रिश्ते कई विवादों से जूझ रहे हैं.

अहम रणनीतिक साझेदार

अधिकारियों का कहना है कि दोनों ही नेता बातचीत में रणनीतिक साझेदारी, व्यापार, निवेश, सुरक्षा और परमाणु सहयोग पर चर्चा करेंगे.

वाशिंगटन पहुंचकर प्रधानमंत्री ने कहा है कि अमरीका भारत का एक “अहम रणनीतिक साझेदार” है और राष्ट्रपति ओबामा के शासनकाल में दोनों ही देशों ने अपने आपसी रिश्तों को कई क्षेत्रों में बढ़ाया है.

उनका कहना था, “हम जिस तरह से विकास कार्यक्रमों पर नए सिरे से ध्यान दे रहे हैं, उसके लिए हमें अमरीका के पूर्ण सहयोग की ज़रूरत है.”

प्रधानमंत्री का कहना था कि दोनों ही पक्ष एक दूसरे की चिंताओं से अवगत रहें इसके लिए उचित कदम उठाने पर भी बात होगी.

मनमोहन-ओबामा मुलाकात

प्रधानमंत्री शुक्रवार को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ओबामा से मिलेंगे जिसके बाद एक साझा बयान जारी किया जाएगा. दोपहर को एक ‘वर्किंग लंच’ का आयोजन है और फिर शाम में मनमोहन सिंह संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए न्यूयॉर्क रवाना हो जाएंगे.

कई लोगों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के रिश्तों में काफ़ी ठंडक आ गई है. जहा अमरीकी व्यापार जगत भारत की व्यापार नीति और पैटेंट क़ानून पर ऊंगली उठा रहा है वहीं भारत अमरीका के नए प्रस्तावित वीसा नियमों की शिकायत कर रहा है क्योंकि उससे भारतीय टेक्नॉल़ॉजी कंपनियों को भारी नुकसान का सामना करना होगा. अफ़गानिस्तान से अमरीकी फ़ौज की वापसी का एलान और तालिबान से बातचीत की कोशिशें भी भारत के लिए चिंता का कारण बनी हैं. भारत ने काफ़ी हद तक अमरीकी प्रोत्साहन के बाद ही अफ़गानिस्तान में अरबों का निवेश किया है.

विश्लेषकों का कहना है कि ठंडे पड़ते रिश्तों में जान फूंकने के लिए सैन्य साझेदारी को और बढाने पर बात होगी. पिछले पांच सालों में अमरीका भारत को आठ अरब डॉलर के सैन्य साजो सामान बेच चुका है और कहा जा रहा है कि इस बार भी मनमोहन सिंह काफ़ी बड़ी खरीदारी की लिस्ट लेकर अमरीका आए हैं.

परमाणु सहयोग के क्षेत्र में भी कुछ ऐलान हो सकते हैं लेकिन उसमें भी किसी दुर्घटना के मामले में विदेशी कंपनियों की जवाबदेही से जुड़े भारतीय क़ानून को लेकर कुछ बड़ी अड़चने हैं.

कुल मिलाकर शुक्रवार की बातचीत में किसी बहुत बड़े ऐलान की उम्मीद नहीं की जा रही है.

मनमोहन नवाज़ वार्ता

न्यूयॉर्क में रविवार की सुबह मनमोहन सिंह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री  नवाज़ शरीफ़ के साथ अपनी पहली द्विपक्षीय मुलाक़ात करेंगे.

जम्मू-कश्मीर में बुधवार को हुए चरमपंथी हमले के बाद इस मुलाक़ात पर काले बादल मंडरा रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री ने मीडिया को दिए बयान में काफ़ी हद तक स्पष्ट कर दिया है कि मुलाक़ात रद्द नहीं होगी.

इससे पहले, भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर में हुए चरमपंथी हमले को बर्बर और उकसावे की कार्रवाई बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा चरमपंथियों को उनके मक़सद में क़ामयाब नहीं होने दिया जाएगा.

इन हमलों की निंदा करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ बातचीत नहीं करनी चाहिए.

मनमोहन ने ट्विटर पर लिखा, ''यह शांति के दुश्मनों की ओर से की गई उकसावे की और बर्बर कार्रवाई है.'' उन्होंने कहा कि हीरानगर पुलिस स्टेशन और सांबा की सैनिक चौकी पर किए गए जघन्य हमलों की निंदा करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं.

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