-खराब सीवर लाइन, नालियों में गंदगी-कूड़ा और चोक नालों ने बढ़ाई दिक्कत

निचला एरिया होने से बारिश में कई दिनों तक डूबी रहती हैं गलियां व घर

निगम के पास नहीं परमानेंट इलाज, जगतपुर में बरसात में कई लोग ढूंढते है नया ठौर

BAREILLY:

तपते गर्म दिनों में अचानक काले बादलों से आसमान का घिर जाना भले ही शहर के हजारों बाशिंदों के चेहरे पर रौनक ले आए, लेकिन शहर में कई एरियाज ऐसे भी हैं, जहां बादलों को देख लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर जाती हैं। यह वह एरियाज हैं, जो शहर के नक्शे में बीचो-बीच होते हुए भी विकास से कोसों दूर नजर आते हैं। तंग गलियों में गंदगी-कूड़ा तो पहचान है ही, गंदी बजबजाती नालियां, खराब सीवर लाइन और चोक नाले भी इन एरियाज की असली तस्वीर है। मानसून की पहली जोरदार बारिश में ही यह एरियाज घुटनों पानी तक डूब जाते हैं। यह बरेली का पुराना शहर है, जो हर साल, हर मॉनसून की हर बारिश में जलभराव से जूझता है।

बिना प्लानिंग के बसा शहर

बरेली के पुराना शहर के तहत बसे एरियाज में सबसे ज्यादा जलभराव की वजह बिना प्लानिंग इनका बसाया जाना है। जानकारों के मुताबिक पुराने शहर की बनावट अनसिस्टमेटिकली है, जिसमें बड़े नालों का नालियों का निर्माण व सीवर लाइन बदलने के लिए चौड़ी सड़कों की व्यवस्था नहीं की गई। समय के साथ पुराने शहर के इलाकों में आबादी बढ़ी और इसी के साथ मुसीबतें भी।

निचला लेवल होने से दिक्कत

पुराने शहर में रोहली टोला, कांकड़ टोला, जगतपुर की नई बस्ती, एजाज नगर गोटिया, चक महमूद, नवादा शेखान, रबड़ी टोला, ईसाइयों की पुलिया, सैलानी और जोगी नवादा समेत अन्य एरियाज शामिल हैं। बरेली में जब नए एरियाज बसे तो इनका ग्राउंड लेवल पुराने शहर से ऊंचा रहा। इसके चलते बारिश में पानी का फ्लो निचले इलाकों वाले पुराने शहर में होने लगा। जिससे मॉनसून में जलभराव होने पर लोग छतों पर रहने व खाना पकाने को मजबूर हाेते हैं।

सीवर खराब, नाले नहीं

पुराने शहर के करीब 70 फीसदी इलाके बारिश के दौरान जलभराव से जूझते हैं। इसकी बड़ी वजह पुराने शहर से किसी बड़े नाले का होकर न गुजरना भी है, जो छोटे नाले हैं, वह भी अक्सर चोक रहते हैं। नालियां गंदी व कूड़े से भरी पड़ी रहती है। पुराने शहर के बाशिंदों व पार्षदों की शिकायत है कि सीवर लाइन व्यवस्था भी ध्वस्त है। पुरानी सीवर लाइन लगभग बर्बाद होने के चलते कई बार गंदगी वाला पानी सड़कों पर आ जाता है। बारिश का पानी सीवर लाइन में जाने से जलभराव की कंडीशन खराब ही नहीं होती। गंदगी व बदबू से भी लोग परेशान रहते हैं।

रमजान में राहत नहीं आफत

पुराने शहर की आधे से ज्यादा आबादी मुसलमानों की है। इस बार रमजान मानसून से पहले शुरू हो गए हैं। पुराने शहर की भौगोलिक स्थिति हमेशा ही यहां के लोगों के लिए बरसात में दुश्मन साबित हुई है। मानसून की पहली जोरदार बारिश होते ही पुराने शहर में दिक्कतों की फेहरिस्त लंबी हो जाएगा। लोगों का कहना है कि एक बार बारिश के बाद 5-6 दिन तक घरों में घुसा पानी नहीं निकलता। नमाज के लिए मस्जिदों तक जाने में परेशानी होती है। नाली, नाले व सीवर का गंदा पानी सड़कों से होते हुए घरों तक आ जाता है।

किराए पर लेते हैं घर

पुराने शहर के जगतपुर एरिया में तो मानसून का यह खौफ है कि लोग जलभराव से घबराकर अपना घर बार तक छोड़ देते हैं। जानकार बताते हैं कि जगतपुर की नई बस्ती जिस जगह पर बसी, वहां पहले भट्ठे थे। भट्ठे खत्म हुए तो जगह नीचे हो गई। इस जगह पर नई बस्ती के बसने से लेवल भी नीचा हो गया। भारी बारिश में पुराने शहर के कई हिस्सों का पानी नई बस्ती में लोगों के घरों में घुस जाता है, जिससे परेशान होकर करीब 40-50 घर बार बार जलभराव की परेशानी से बचने के लिए आस पास के इलाकों में किराए के घरों में रहने चले जाते हैं।

-------------------------------

सीवर लाइन चोक रहती हैं। नाले भी गंदगी से भरे रहते हैं। नालियों में कूड़ा रहता है। इससे बारिश के दौरान जलभराव की जबरदस्त समस्या रहती है। रमजान में मस्जिद जाने में भी बहुत परेशानी होती है।

- अकिल हुसैन, कांकड़ टोला

पुराने शहर में जलभराव की बड़ी समस्या है। घरों के अंदर तक पानी घुस जाता है। सड़कों पर 4-5 दिन तक पानी जमा रहता है। मानसून में रमजान पड़ने पर दिक्कत बहुत बढ़ जाती है।

- गुलफाम अंसारी, शाहबाद

नालियों में गंदगी जमी रहती है। बारिश होने पर नालियां चोक होने से सारा गंदा पानी घर में आता जाता है। जलभराव होने पर छतों पर खाना पकाते और सोने को मजबूर होना पड़ता है।

- नासिर कुरैशी, सैलानी

निचला लेवल होने से पुराने शहर में हर साल बारिश में जलभराव की समस्या रहती है। सीवर लाइन डैमेज हैं, इससे पानी बैक फ्लो से वापस सड़क-घर में आता है। बड़े नाले नहीं, इससे पुराने शहर के जलभराव की निकासी नहीं हो पाती। - मेराज अंसारी, पार्षद एजाज नगर गोटिया

-----------------------